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उक्त पल 13 करोड़ की लागत से बनाया गया था पुल के धंसने और गार्डर में दरार की सूचना मिलते ही बलिया एसडीओ रोहित कुमार, एसडीपीओ कुमार वीर धीरेन्द्र, सीओ सतीश कुमार सिंह, सीआई अखिलेश राम एवं स्थानीय थाना की पुलिस दल-बल के साथ पहुंच स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे और पुल के दोनों तरफ से चौकीदारी की तैनाती के साथ ही पुल के दोनों तरफ बैरिकेडिंग कर सभी तरह के वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी, लोगों का कहना है कि इसे संयोग कहें कि अबतक इस पर किसी भारी वाहन का परिचालन शुरू नहीं किया जा सका है वर्ना किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था।
वर्ष 2012-13 में गंडक नदी पर पुल निर्माण को लेकर स्वीकृति मिली थी इसके निर्माण का जिम्मा मां भगवती कंस्ट्रक्शन को मिला था, पुलिस जांच के लिए शनिवार को इंजीनियर के विशेष टीम बुलाई गई थी बावजूद पुल को नहीं बचाया जा सका 5 साल पहले यह पुल बनकर तैयार हुआ था मां भगवती कंस्ट्रक्शन 1343.32 लाख की लागत में 30 फरवरी 2016 से निर्माण कार्य शुरू किया था और महज 1 साल के बाद 22 अगस्त 2017 को यह पुल बनकर तैयार हो गया और आज 5 साल बाद या पुल टूट कर दो हिस्सों में बांट चुका है पुल टूट जाने का इलाके के 20 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे, खासकर किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि भविष्य के लिए यही काफी कारगर साबित रहा था अब इसका खामियाजा बीमार पीड़ित लोगों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा।
स्थानीय लोगों के अनुसार गंडक नदी प्रयोग पुल बनने के बावजूद वाहनों के आवागमन पर रोक थी यह मार्ग और दूध रहने के कारण यहां के लोगों को मुख्य मार्ग NH-31 तक पहुंचने के लिए एकमात्र बांध मार्ग से ताड़ तर, उमेश नगर के रास्ते नन्हकू मंडल टोला तक लंबा और घुमावदार सफर तय करना पड़ता था, सुलभ सड़क नहीं रहने के कारण ही यहाँ तक कोई सवारी गाड़ी भी नहीं चलती थी।