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जिसमें से अब तक 30 हजार से अधिक किस्त एजेंट को दिए, लेकिन बैंक कह रहा है कि बकाया है। अब दो लाख रुपये का नोटिस भेजा गया है। वही कुसुम देवी का कहना है की उन्होंने हर महीने 2,700 रुपये एजेंट को देती थे। 12 महीने तक किस्त दी। अब बैंक से नोटिस आया कि लोन बकाया है। अगर पैसा बैंक में जमा नहीं हुआ तो हमारी क्या गलती? जबकि केनरा बैंक के शाखा प्रबंधक इमरान सिद्दीकी ने बताया कि, 2020-21 में समाज उन्नति केंद्र के माध्यम से 95 JLG लोन दिए गए थे। शुरुआत में सब कुछ सामान्य रहा। लेकिन एक साल बाद एजेंटों ने 4-5 किस्तें इकट्ठा कर जमा नहीं की। इससे 74 अकाउंट LP (लॉन्ग पेंडिंग) हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि हमने सभी दस्तावेज रीजनल ऑफिस भेज दिया है। और इस समस्या के समाधान का प्रयास जारी है। बैंक मैनेजर के मुताबिक, इस योजना के तहत 10 करोड़ 80 लाख रुपये के लोन बांटे गए थे, जिनमें से 1 करोड़ 40 लाख की रिकवरी अभी तक नहीं हो सकी है। मामले को लेकर महिलाओं ने सवाल उठाया कि अगर एजेंटों के माध्यम से किस्त ली जा रही थी, तो बैंक ने इतने लंबे समय तक निगरानी क्यों नहीं की? क्या बैंक प्रबंधन की लापरवाही या मिलीभगत नहीं रही? यह मामला अब केवल एजेंटों की धोखाधड़ी नहीं, बैंकिंग सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर रहा है। महिलाओं ने एजेंटों की गिरफ्तारी और बैंक अधिकारियों की जांच की मांग की है। कई पीड़ित महिलाओं ने स्थानीय प्रशासन से हस्तक्षेप की अपील की है। इस मामले ने नवगछिया में हड़कंप मचा दिया है।