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कुछ वर्षों तक वरीय व कनीय शिक्षकों के प्रभार को लेकर शिक्षा विभाग पर उंगली उठती रही। और अब अनट्रेंड शिक्षकों से स्कूलों में सेवा लेकर प्रतिद्वंद्वी ट्रेंड शिक्षकों को इस सेवा से वंचित किया गया है जो न तो सरकार की नियमावली है और ना ही शिक्षा विभाग के कार्य सूची में है, शिक्षा विभाग भी मान रहा है कि ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं की गई है जबकि उच्च न्यायालय के सीडब्ल्यू जे सी 16214/2019 के अताउल रहमान बनाम राज्य सरकार की याचिकाओं को सुनवाई में यह स्पष्ट निर्देश पारित किया गया है।
हाई कोर्ट ने बीते साल 19 अक्टूबर 2022 को निर्देश पारित कर विद्यालयों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया है लेकिन आदेश पारित हुए 3 माह हो गए हैं परंतु इस दिशा में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है जिससे शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, इस संबंध में रामगढ़ बीईओ नागेश्वर मंडल ने बताया की रामगढ़ के विभिन्न विद्यालयों में चार अप्रशिक्षित शिक्षक कार्यरत हैं जिसको देख रहा हूं इतने दिन तक कार्य किए हैं तो इस महीने का उनका वेतन बन जाए तभी आगे कार्रवाई होगी इस तरह का जवाब शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा दिया जाना अप्रत्याशित है।
जिला शिक्षा विभाग, प्रखंड शिक्षा विभाग को तो प्रखंड शिक्षा विभाग के अधिकारी जिला शिक्षा विभाग पर कार्रवाई के लिए थोप रहे हैं, बीईओ नागेश्वर मंडल जनवरी में ही ऐसे शिक्षकों को पदमुक्त करने की बात कहे थे और उनके द्वारा बताया गया था कि कौन कब का अप्रशिक्षित है कैसे उसे रहना है इसकी विस्तृत जानकारी जिला के द्वारा दी जाएगी न्यायालय का निर्देश तीन अलग अलग पार्ट में है ऐसी बाते कहकर उन्होंने टाल दिया।