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हालांकि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने 31 दिसंबर तक समय देते हुए कहा है कि अगर इतने समय में आवश्यक आवश्यकता को पूरा किया जाता है तो नए सत्र 2022-23 की मानयता फिर से बहाल कर दी जाएगी दरअसल पिछले 28 और 29 जुलाई को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग की ऑनलाइन महाविद्यालय की जांच की थी इसमें कॉलेज के आधारभूत संरचना, स्टाफ चिकित्सा विभाग सहित अन्य बिंदु पर भी जांच की गई थी जिसके बाद विभाग ने रिपोर्ट जारी की और रिपोर्ट के अनुसार सभी आयुर्वेदिक कॉलेज के पास विभाग में ना तो चिकित्सक और ना ही स्टाफ है जबकि कई विभाग में प्रोफेसर की कमी है ना तो प्रयोगशाला ठीक है और नहीं प्रयोगशाला का उपकरण ठीक है।
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विद्यालय में अभी मात्र 50% शिक्षा की मौजूद है जबकि हायर फैकेल्टी की संख्या 40% है 5 विभाग खाली है जिसमें रचना शरीर, स्वास्थ्यवरीता और योग, प्रसूति और स्त्री रोग, शल्य तंत्र विभाग और पंचकर्म विभाग शामिल है इसी प्रकार का काय चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर की कमी है जबकि सभी विभाग में हाय फैकल्टी की कमी है पढ़ाने के लिए संस्कृत शिक्षक की कमी इसके अलावा नॉनटीचिंग स्टाफ से 64% ही है आयुर्वेदिक समाहित सिद्धांत और योग शिक्षक की भी कमी है।
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