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दरअसल बालू खनन को लेकर राज्य सरकार ने जो फैसला किया था उसको एनजीटी ने अपने गाइडलाइन के खिलाफ माना था और इस वजह से बालू खनन के आदेश पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे राजस्व का नुकसान मानते हुए इस रोक को हटाने का निर्देश दिया है।
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बालू खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण की सुरक्षा मानकों को सुरक्षित करने के लिए यह आदेश बहुत जरूरी था, जिस तरह अवैध खनन हो रहा था और लोगों के बीच संघर्ष देखा जा रहा था, इससे कई लोगों के जाने गई थी, इन सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है।
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बताते चले की ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद राज्य में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया को रोक दिया गया था, बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया 8 जिलों में चल रही थी, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद सरकार ने फिलहाल इस पर अंतिम रोक लगा दी थी निविदा प्रक्रिया से जुड़ा आदेश खनन एवं भूतत्व विभाग में जारी भी कर दिया था।
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दरअसल सरकार ने बालू की कमी को देखते हुए पिछले दिनों मंत्रिमंडल की बैठक के जरिए बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित प्रस्ताव पास किया था, आदेश दिया गया था की जिनके पास से पहले से पर्यावरण स्वीकृति प्रमाण पत्र है, वह इन दिनों बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं, इस निविदा प्रक्रिया का काम सरकार ने खनन विभाग को सौंपा था लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे।
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