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श्री राम जानकी व बजरंगबली मंदिर प्रांगण में नौ दिवसीय महायज्ञ का आयोजन

Bihar: अरवल जिले के करपी प्रखंड क्षेत्र के तेलपा में श्री राम जानकी बजरंगबली की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर 9 दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध संत जगतगुरु पद्म विभूषण श्री रामभद्राचार्य जी महाराज पधारे शुक्रवार को अपने प्रवचन की शुरुआत उन्होेंने बिहार में “का बा” कह कर किया, स्वामी जी ने कहा कि बिहार में भगवान श्रीराम जी का ननिहाल और ससुराल बा, भगवान श्री राम जी का ननिहाल मगध क्षेत्र में पड़ता है, ससुराल भी बिहार ही में है, इसीलिए यह प्रदेश बहुत महत्वपूर्ण है।

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विभिन्न धर्म ग्रंथों का उल्लेख करते हुए स्वामी जी ने सिद्ध किया इनके द्वारा रामचरित मानस के संबंध में जो भी प्रसंग का उल्लेख किया गया है वह धर्म ग्रंथों के किस पेज पर और कहां है, चौपाई कितने नंबर पर है यह भी बताया, प्रवचन सुनने पहुंचे श्रद्धालु आश्चर्यचकित थे, श्रद्धालुओं ने कहा कि दोनों आंख से दिव्यांग होने के बावजूद इतना ज्ञान बिना किसी ईश्वरीय कृपा के संभव नहीं है, स्वामी जी महाराज ने कहा कि रामचरित्र मानस अद्भुत धर्म ग्रंथ है।

इस धर्म ग्रंथ की रचना भगवान शंकर ने की और नामकरण भी किया, उन्होेंने कहा कि अगर पत्नी अच्छी मिल जाए तो जीवन सुखमय हो जाता है वरना जीवन कष्टमय हो जाता है, भगवान शंकर के साथ ऐसा ही हुआ पहली पत्नी सती ने भगवान शंकर पर अविश्वास किया जिसका परिणाम सती को भुगतना पड़ा, माता सीता का रूप बनाकर सती भगवान श्रीराम के आगे चलने लगी, इसकी पहचान लक्ष्मण जी को हो गई क्योंकि भारतीय संस्कृति में पत्नी कभी पति के आगे नहीं चलती है, शंकर ने सती का त्याग कर दिया सती अग्निकुंड में जलकर अपनी शरीर त्याग दी सती माता अग्नि कुंड में इसीलिए जली कि माता सीता अग्नि से उत्पन्न हुई थीं माता सीता से क्षमा मांगी माता सीता ने क्षमा करते हुए कहा कि भगवान श्री राम की कथा सुनने के बाद आपके सभी पाप समाप्त हो जाएंगे और आप प्रत्येक जन्म में भगवान शंकर की पत्नी बनेंगी।

माता सती पुन: पार्वती बनकर भगवान शिव की पत्नी बनीं, भगवान श्री राम विष्णु जी के ही अवतार थे जब जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा है तब तब भगवान ने विभिन्न रूपों में जन्म लेकर अधर्मियों का संहार किया भगवान वैष्णवजनों की मदद करते हैं भगवान श्री राम को पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए काफी तपस्या की गई थी इसके उपरांत भगवान का अवतार हुआ और विभिन्न देवता भी विभिन्न रूपों में धरती पर अवतरित हुए, जब यज्ञ के बाद पवित्र खीर कौशल्या माता समेत अन्य माताओं को दिया गया तो कैकेयी माता के हाथ से खीर का एक हिस्सा चील लेकर उड़ गया और अंजना माई जहां बैठी हुई थी वहां खीर का अंश गिरा, जिसे अंजना माई ने खा लिया और बजरंगबली का जन्म हुआ, बजरंगबली कोई और नहीं थे स्वयं भगवान शंकर थे।

भगवान शिव को जब पृथ्वी पर अवतार लेने की बात आई तो कहा गया कि मैं वानर बनूंगा और भगवान शंकर हनुमान बनकर पृथ्वी पर अवतरित हो गए माता पार्वती जी के आग्रह करने के बाद हनुमान जी का पूछ बनकर पार्वती भी आ गई रावण ने जब पूछ में आग लगाई तो माता ने पूरे लंका को ही जला डाला, इस दौरान महायज्ञ में बच्चों के बीच टॉफी बांटी गयी, श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया इस दौरान भगवान श्री राम की जयकार की गई मौके पर स्वामी जी के साथ उनके कई शिष्य उपस्थित रहे।

 

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