Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अमांव के ग्राम अमांव जो कि शिव नगरी अमांव के नाम से प्रचलित है महाशिवरात्रि के पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा पहुंचकर पूजा अर्चना कर श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव का आशीर्वाद प्राप्त किया गया है।
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वही विधि व्यवस्था संस्थान के लिए चैनपुर पुलिस तैनात रही साथ ही मंदिर कमेटी के लोगों के द्वारा भी दर्शन पूजन को आए श्रद्धालुओं को लाइन में लगाकर बारी-बारी से दर्शन पूजन करवाया गया, सुबह सूर्योदय के साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई, जो शाम तक भी श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई।
श्रद्धालुओं के बीच श्रीदयाल नाथ महादेव को लेकर अटूट विश्वास और श्रद्धा है, मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा अर्चना से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है यही कारण है कि कई राज्यों से महाशिवरात्रि सहित सावन एवं भादो के प्रथम सोमवारी पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है।
इस दुर्लभ शिवलिंग की स्थापना से संबंधित जानकारी देते हुए दुर्गेंद्र कुमार तिवारी की द्वारा बताया गया लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व गांव में कुंए की खुदाई हो रही थी उस दौरान एक शिवलिंग नुमा पत्थर लोगों को दिखा जिस पर मिट्टी खुदाई के कारण कुदाल के प्रहार से रक्त जैसा द्रव निकलने लगा जिसे देख खुदाई कर रहे ग्रामीण घबरा गए और वहां कार्य करना छोड़ दिए रात के पहर उसी गांव के एक व्यक्ति के सपने में शिवलिंग की स्थापना करने की बात कही गई, जिसके बाद उस शिवलिंग को श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव का नाम देते हुए ग्रामीणों ने वहीं पर स्थापना करवा दिया और उसके बगल में कुएं की खुदाई करवाई गई, इसके बाद से लगातार पूजा अर्चना होती आ रही है।
वहीं इस मंदिर के मुख्य पुजारी फड़ींद्रमणि तिवारी उर्फ बच्चन तिवारी जिनकी उम्र लगभग 101 वर्ष हो चुकी है, और उनका परिवार तीन पुस्तो से श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव की पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं उनके द्वारा बताया गया उनके पिता एवं उनके दादाजी इस मंदिर में भगवान शिव के लिंग की पूजा करते आ रहे हैं।
पूर्वजों ने बताए अनुसार लगभग 200 वर्ष पूर्व गांव में स्थापित शिवलिंग को गांव वालों के द्वारा दूसरे जगह स्थापित करने के लिए शिवलिंग को खुदाई करके निकाला जा रहा था, लगभग एक पोरसा के करीब खुदाई के बावजूद भी शिवलिंग जमीन के अंदर ही गड़ी हुई पाई गई काफी प्रयास करने के बाद भी शिवलिंग को उस स्थल से निकाला नहीं जा सका इस कारण से उस स्थल पर गांव के रामशरण सिंह के द्वारा ग्रामीणों के कहने पर मंदिर का निर्माण करवा दिया गया और उस मंदिर में पूजा अर्चना इन्हीं के परिवार के माध्यम से की जा रही है, धीरे-धीरे लोग दर्शन पूजन के लिए पहुंचने लगे वर्तमान समय में अलग-अलग राज्यों से भी लोग पहुंच कर दर्शन पूजन करते हैं काफी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।