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अब केंद्र सरकार के बाद इस प्रस्ताव को चुनाव आयोग के पास भेजा जाएगा ताकि चुनाव आयोग से भी इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सके, मुखिया और सरपंच को वोटर बनाने के कानूनी प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग की सहमति जरूरी है, यह देखते हुए पंचायती राज विभाग में पंचों और सरपंचों को भी वोटर बनाने के लिए प्रदेश के निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजने कार्रवाई शुरू कर दी है।
यदि चुनाव आयोग से भी इसकी सहमति मिल जाती है तो सांसद, विधायक, राज्य सभा और विधान परिषद के सदस्य, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, मुखिया, वार्ड पंचायत सदस्य, नगर निगम सदस्य, नगर परिषद सदस्य, नगर पंचायत सदस्य और कंटोनमेंट बोर्ड के सदस्य एमएलसी चुनने में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
चुनाव आयोग की सहमति मिलते ही लंबे समय से वोटर बनने के लिए संघर्ष कर रहे राज्य के सवा लाख पंचों और सरपंचों को न्याय मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा, पंच-सरपंच के राज्य स्तरीय संघ, बिहार प्रदेश पंच-सरपंच संघ कई सालों से लड़ाई लड़ता रहा है।