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दरअसल महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बुधवार से विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि वे अपना इस्तीफा दे देंगे लेकिन अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से ही हटाए जाएंगे अगर ऐसा होता है तो वे बिहार के पहले विधानसभा अध्यक्ष होंगे जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटाया जाएगा, वहीं वे चौथे स्पीकर होंगे जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है इससे पहले 1960, 1970 और 1992 में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था, हालांकि, तीनों बार अध्यक्ष की कुर्सी बच गई थी।
सत्ताधारी दल समेत 7 पार्टियों के 50 विधायकों ने विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की सूचना विधानसभा के सचिव को दे दी थी, संवैधानिक व्यवस्था के तहत स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के 14 दिन बाद ही उस पर चर्चा हो सकती है विजय सिन्हा ने कहा कि अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किया हूं, 20 महीने के छोटे कार्यकाल में कई उद्घाटन हुए पीएम मोदी भी विधानसभा आए, उन्होंने कहा कि बुधवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में नियमानुकूल काम होंगे, सरकारी कार्य पहले होता है इसलिए पहले सरकारी कार्य होगा इसके बाद कोई कार्य लिया जाएगा लोकतंत्र में अटूट विश्वास रखता हूं।
विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी यह तो साफ हो गया है इसके बाद इस पर वोटिंग कराई जाएगी इसमें परिणाम सत्ता पक्ष के पाले में आना तय है महागठबंधन जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव लाया है उनके पक्ष में 164 विधायक का समर्थन और बीजेपी के पास 77 विधायक हैं अपने विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव होने के कारण स्पीकर कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं कर सकेंगे, यह दायित्व उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी निभाएंगे।