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वंदे मातरम पर उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर बीजेपी उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने जताई आपत्ति

Bihar: बिहार में इन दिनों राष्ट्र गीत को लेकर सियासत गर्म है, बिहार विधानसभा में वंदे मातरम गाने को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था, उस मामले में एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान की आपत्ति के बाद जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी बयान दिया है, उपेंद्र कुशवाहा का कहना था कि वंदे मातरम गाने को लेकर दबाव बनाना ठीक नहीं है लेकिन अब बीजेपी को कुशवाहा का यही बयान पसंद नहीं आया।

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जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा

बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने वन्दे मातरम बयान को लेकर कुशवाहा के बयान पर आपत्ति जताई है, उन्होंने पूछा कि क्या उपेंद्र कुशवाहा यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछ कर दे रहे हैं, बात बात में वंदे मातरम और जन गण मन का अपमान आजकल नकली सेकुलरों के लिए फैशन हो गया है, राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान इस देश की अस्मिता का प्रतीक है।

देश के टुकड़े करने का ख्वाब रखने वाले कुछ जिन्नावादी और जिहादी मानसिकता के लोगों को इससे एलर्जी होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे चंद वोटों के लिए उनकी धुन पर नाचने वाले जयचंदों की भी पहचान हो जाती है, बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि राष्ट्रगान का अपमान उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के अपमान है, जिन्होंने इस से प्रेरणा लेकर अपने प्राण देश पर कुर्बान कर दिए, आजादी के उन दीवानों में सभी धर्म के लोग शामिल थे लेकिन कभी भी राष्ट्रप्रेम के प्रदर्शन से उनका धर्म आहत नहीं हुआ। ‌

आज जो लोग संविधान की दुहाई देते हुए राष्ट्रगान से इंकार कर रहे हैं, वह बताएं कि संविधान तो शेरवानी पहनने, अरबी नाम और दाढ़ी रखने के लिए भी नहीं कहता तो फिर वह इन्हें क्यों नहीं छोड़ देते, चंद अराजक वोटों के लिए इन जिन्नावादीयों का बचाव करने वाले एक नेता जी के मुताबिक राष्ट्रप्रेम दिखाने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है।

याद करे कि यह नेता जी कुछ महीने पहले जातिगत जनगणना न करवाने पर इस्लाम अपनाने की धमकी भी दे चुके हैं, वास्तव में यह नेताजी वर्तमान युग के जोगेंद्रनाथ मंडल बनना चाहते हैं, जिन्होंने जिन्नावादीयों के फेर में अपने हजारों समर्थकों को पाकिस्तान ले जाकर कटवा दिया था, नेताजी को चाहिए कि अपनी बात को सही साबित करने के लिए आज ही राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दे।

उन्होंने कहा कि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि माता-पिता से प्रेम दिखाने के लिए उनकी सेवा करनी चाहिए तो क्या लोग उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं, यदि इस तरह के नेता समझते हैं कि राष्ट्रगान के खिलाफ बोलने से धर्म विशेष के लोग उन्हें वोट देने लगेंगे तो यह उनकी भूल है इस तरह की अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देकर वह चंद जिन्नावादीयों को अपने पाले में जरूर खड़ा कर सकते हैं लेकिन एक बड़ा वर्ग उनके खिलाफ हो जाएगा।

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