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ऐसे में रवि पासवान के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है क्योंकि रवि पासवान ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें भाजपा उम्मीदवार बनाए या ना बनाएं वह चुनाव मैदान में रहेंगे ऐसा माना जा रहा है कि छेदी पासवान की सहमति से ही रवि पासवान मैदान में उतरे हैं, छेदी पासवान राजनीति में चार दशक से सक्रिय है अब माना जा रहा है कि वह अपने पॉलिटिकल रिटायरमेंट से पहले अपने बेटे को सेटल करना चाहते हैं, इस दिशा में वह पिछले एक दशक से प्रयासरत हैं जब वह 2014 में भाजपा में शामिल हुए और मीरा कुमार को हराकर सासाराम से सांसद बने तो अगले वर्ष 2015 के ही विधानसभा चुनाव में बेटे के टिकट के लिए अपनी पुरानी चेनारी सीट से दावेदारी कि, जब भाजपा का टिकट नहीं मिला तो रवि पासवान सपा के टिकट पर चुनाव लड़े।
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2015 के चुनाव में रवि पासवान चेनारी से हार गए लेकिन इसके बाद उनकी भाजपा में वापसी हो गई, अभी रवि पासवान भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं और विधान परिषद के चुनावी पोस्टर में इसका उल्लेख भी कर रहे हैं, वह कहते हैं कि पिता छेदी पासवान चाहते हैं कि उन्हें विधान परिषद के चुनाव में भाजपा टिकट दे, छेदी पासवान चार दशक से अधिक लंबे सफर में आधा दर्जन से अधिक दलों में चुनाव लड़ चुके हैं, छेदी पासवान साल 1980 में चेनारी विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के चरण सिंह गुट के उम्मीदवार बने लेकिन चुनाव हार गए, 1985 में वे लोक दल के उम्मीदवार के रूप में पहली बार विधानसभा पहुंचे, 1989 एवं 1991 में वे जनता दल के उम्मीदवार के रूप में दो बार लगातार सासाराम लोकसभा से मीरा कुमार को हरा एमपी बने लेकिन 1996 में बीजेपी के मुनीलाल से चुनाव हार गए, 1998 में वे शरद पवार की एनसीपी एवं 1999 में बीएसपी उम्मीदवार के रूप में सासाराम से चुनाव लड़े इसमें भी वह हार गए।
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इसके बाद भी लालू प्रसाद के आरजेडी में चले गए और 2000 के विधानसभा चुनाव में चेनारी विधानसभा सीट से विधायक बने लेकिन 5 साल बाद अगले चुनाव में आरजेडी को छोड़ नीतीश कुमार के जदयू में आ गए और 2005 और 2010 में मोहनिया विधानसभा से विधायक बने, 2014 मे नीतीश कुमार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए बीजेपी में शामिल हो गए, 2014 एवं 2019 में लगातार बीजेपी की टिकट से सासाराम के सांसद रहे ऐसे माना जा रहा है कि भाजपा टिकट दे या ना दे उनके बेटे रवि पासवान भी चुनाव मैदान में रहेंगे।
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रवि पासवान का कहना है कि विधान परिषद सीट से उनकी उम्मीदवारी तय है, भाजपा अगर उम्मीदवार नहीं बनाती है तो भी उनकी उम्मीदवारी रहेगी किसी दल से होगी या निर्दलीय अभी कहा नहीं जा सकता, वहीं निवर्तमान विधान पार्षद संतोष सिंह ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी एनडीए में उम्मीदवार के रूप में तय है, रवि पासवान की उम्मीदवारी के विषय में कहा कि प्रत्येक नागरिक चुनाव लड़ने को स्वतंत्र हैं, किसी भी उम्मीदवारी से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरा काम बोलता है।