Bihar: कैमूर और शाहाबाद क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान रोहतासगढ़ किला परिसर में रविवार को वार्षिक शाहाबाद महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंगलाचारण के साथ हुई, जिसके बाद मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया।
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महोत्सव में स्थानीय कलाकारों के लोकनृत्य, गायन और नाटकीय प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। प्रस्तुतियों ने शाहाबाद की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को मंच पर सजीव कर दिया। वहीं, हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही।
आयोजन समिति के अनुसार, महोत्सव का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की कला, संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना तथा नई पीढ़ी को अपनी विरासत से जोड़ना है। बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने पूरे क्षेत्र को उत्सवमय माहौल में डूबो दिया।
सांसद सुधाकर सिंह ने कहा—“रोहतास और कैमूर आदिवासी समाज की जन्मस्थली”
कार्यक्रम में पहुंचे बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण तथा नई पीढ़ियों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से शाहाबाद महोत्सव का आयोजन विभिन्न स्थानों पर किया जाता रहा है, और इस वर्ष इसका आयोजन ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किला परिसर में होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सांसद ने कहा कि—
“यह पूरा क्षेत्र आदिवासियों का प्राचीन निवास रहा है। देश के जिस भी हिस्से में आज चेरो या उरांव समेत अन्य आदिवासी समुदाय के लोग बसते हैं, उनकी जड़ें रोहतास और कैमूर में ही रही हैं। पारंपरिक आदिवासी संस्कृति और प्रथाओं को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े पैमाने पर यह उत्सव आयोजित किया गया है, जो निश्चित रूप से अविस्मरणीय रहेगा।”
कार्यक्रम के दौरान सांसद ने एनडीए पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आदिवासी समाज और सांस्कृतिक धरोहरों की उपेक्षा बड़ी चिंता का विषय है, जिसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।



