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रांची-वाराणसी एक्सप्रेस-वे भूमि अधिग्रहण विवाद: कैमूर में किसानों और पुलिस के बीच झड़प

Bihar: कैमूर जिले में भारतमाला परियोजना के तहत बनाए जा रहे रांची-वाराणसी एक्सप्रेस-वे को लेकर मंगलवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। भूमि अधिग्रहण के दौरान प्रशासन और किसानों के बीच जोरदार झड़प हुई। किसानों का आरोप है कि उनकी खड़ी फसल को जेसीबी से रौंद दिया गया और बिना उचित मुआवजा दिए जमीन पर कब्जा कर लिया गया। वहीं प्रशासन का कहना है कि सभी किसानों को पूर्व सूचना दी गई थी और कार्य में बाधा डालने वाले लोगों को ही हटाया गया है।

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विरोध कर रहे किसान

विवाद कैसे शुरू हुआ?

मंगलवार सुबह लगभग 10 बजे कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सिहोरा, वीराना और करवनिया मौजा में प्रशासनिक टीम एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहित भूमि पर भौतिक कब्जा लेने पहुंची। इस जमीन पर किसानों ने धान के फसल की बुवाई कर रखी थी। जब प्रशासन की ओर से जेसीबी से खेतों की सफाई शुरू हुई तो किसान उग्र हो गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे।

किसानों का कहना है कि –

बिना सहमति के उनकी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है।

मुआवजा बहुत कम दिया जा रहा है।

फसल रौंदकर उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया है।

किसानों का पक्ष

किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के अध्यक्ष विमलेश पांडे और भारतीय किसान यूनियन कैमूर अध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने संयुक्त बयान में कहा –

किसने की मांग है “एक जिला, एक परियोजना, एक प्रकार की भूमि और एक समान मुआवजा” दिया जाए।

किसानों को मिलने वाला मुआवजा बेहद कम है।

मंगलवार को करीब 50 एकड़ भूमि पर खड़ी फसल जेसीबी से रौंद दी गई।

विरोध करने पर पुलिस ने किसानों से मारपीट की और पांच किसानों को उठाकर ले गई, जो अभी तक लापता हैं।

किसानों ने देर शाम कैमूर डीएम से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराई और उचित मुआवजे की मांग की।

प्रशासन का पक्ष

चैनपुर के अंचलाधिकारी अनिल प्रसाद सिंह के अनुसार –

सभी किसानों को एक महीने पहले से ही माइकिंग के जरिए सूचना दी गई थी कि अधिग्रहित भूमि पर कोई बुवाई न करें।

इसके बावजूद किसानों ने जानबूझकर बुवाई की, जिससे परियोजना प्रभावित हो रही थी।

पुलिस ने किसी किसान को गिरफ्तार नहीं किया, सिर्फ उन्हें हटाया गया था, सारा कार्रवाई भभुआ एसडीओ के नेतृत्व में किया गया है।

मारपीट का आरोप निराधार है।

सीओ ने यह भी कहा कि –

सरकार चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान रखती है, विरोध कर रहे हैं किसानों को चार गुना मुआवजे का भी दुगना मुआवजा दिया जा रहा है।

रांची-वाराणसी एक्सप्रेस-वे जैसे जनकल्याणकारी कार्य के लिए भूमि अधिग्रहण जरूरी है।

किसानों को गुमराह करके आंदोलन कराया जा रहा है।

किसानों की मुख्य मांगें

1. सभी किसानों को एक समान मुआवजा दिया जाए।

2. मुआवजा दर को बढ़ाया जाए ताकि भूमि की वास्तविक कीमत मिल सके।

3. बिना सहमति और उचित भुगतान किए भूमि पर कब्जा न किया जाए।

4. जिन किसानों की फसल नष्ट हुई है उन्हें अतिरिक्त मुआवजा मिले।

5. लापता किसानों को तुरंत सामने लाया जाए।

भारतमाला परियोजना और एक्सप्रेस-वे का महत्व

भारत सरकार की भारतमाला परियोजना का उद्देश्य देशभर में तेज और सुरक्षित सड़क नेटवर्क तैयार करना है।

रांची-वाराणसी एक्सप्रेस-वे इस योजना का अहम हिस्सा है।

इसके पूरा होने पर रांची और वाराणसी के बीच सफर का समय लगभग आधा हो जाएगा।

यह सड़क झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ेगी, जिससे व्यापार और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

निष्कर्ष

कैमूर में हुआ यह विवाद एक बार फिर भूमि अधिग्रहण और किसानों के मुआवजे की समस्या को सामने लाता है। जहां एक ओर सरकार इसे जनकल्याण और विकास के लिए जरूरी बता रही है, वहीं किसान इसे अपनी आजीविका पर हमला मान रहे हैं। यदि मुआवजे को लेकर पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवस्था नहीं अपनाई गई तो ऐसे विवाद भविष्य में और गहराने की संभावना है।

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