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तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने इसे लेकर डीएम कुंदन कुमार को पत्र भेजकर यूपी की सीमा से सटे बिहार के साथ गांव का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है आयुक्त द्वारा पत्र में यह भी कहा गया है कि गंडक पार के पिपरासी प्रखंड का बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही और कटनी गांव में जाने के लिए प्रशासन के साथ ग्रामीणों को यूपी होकर आना जाना पड़ता है जिससे यूपी के रास्ते इन गांव में जाने से प्रशासनिक परेशानी होती है, वही आने में भी काफी अधिक समय लगता है इसके साथ ही विकास योजनाओं के संचालन में भी प्रशासनिक अधिकारियों को काफी परेशानी होती है और गांव में प्राकृतिक आपदा आती है, तो उस वक्त राहत पहुंचाने में भी देरी होती है।
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दरअसल ऐसा ही कुछ मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में भी आया था गोपालगंज के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक योगेंद्र मिश्रा ने अपने गांव को उत्तर प्रदेश में शामिल करने की मांग कर डाली थी, जानकारी के अनुसार योगेंद्र मिश्रा का गांव उत्तर प्रदेश की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है, इसको लेकर ही बुजुर्ग शिक्षक ने मुख्यमंत्री से मांग रखी कि यूपी का कुशीनगर जिला उनके गांव से महज 1 किलोमीटर दूर है इसलिए सही होगा कि उनके गांव को यूपी में शामिल करवा दिया जाए, शिक्षक द्वारा मुख्यमंत्री से कहा गया कि रिटायरमेंट के बाद सेवा करते आ रहे हैं गांव की भौगोलिक स्थिति है कि उसे बिहार के बजाय उत्तर प्रदेश का होना चाहिए, इसलिए आपसे आग्रह है कि मेरे गांव को यूपी में शामिल करवा दीजिए, मुख्यमंत्री उनकी इस मांग को सुनकर चौंक गए और संबंधित विभाग के अधिकारी पास भेज दिया था।
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वही यूपी के कुशीनगर के जो जिले बिहार में शामिल होंगे, मरछहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, बसंतपुर, हरिहरपुर और नरैनापुर गांव है, यह गांव बिहार के बगहा जिले से सटे हैं, जिस वजह से यूपी प्रशासन को जाने के लिए नेपाल और बिहार की सीमा से होकर जाना पड़ता है, इन गांव में पहुंचने के लिए यूपी प्रशासन को 20 से 25 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है, दोनों राज्यों के गांव की अदला-बदली होने से विकास के साथ आवागमन भी आसान हो जाएगा और दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद भी खत्म होगा, इसके साथ ही भूमि मामले भी खत्म हो जाएंगे, वहीं किसानों को खेती में सुविधा हो जाएगी।
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