BIHAR: पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद अधिकारियों के पास चुनावी शिकायतें आनी शुरू हो गई हैं, ऐसा ही मामला कैमूर जिले के मोहनिया और दुर्गावती प्रखंड का है, दुर्गावती के निर्वाची पदाधिकारी का यूपी के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र के आधार पर दोनों प्रखंड के अधिकारियों का मत अलग-अलग रहा, दरअसल दुर्गावती के निर्वाची पदाधिकारी ने यूपी के जाति प्रमाण पत्र को मान्य कर पर्चा वैध किया, तो वही मोहनिया के निर्वाची पदाधिकारी ने यूपी के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य कर प्रत्याशियों के पर्चे को खारिज कर दिया, जबकि पूरे बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर एक ही गाइडलाइंस है।
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अब चुनाव में महिला प्रत्याशियों की जीत हासिल करने के बाद मामला दिन पर दिन पेचीदा होता जा रहा है, बताते चलें कि चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार आरक्षित महिला सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का नामांकन पिता के जाति के आधार पर निर्धारित करना है, पति की जाति के आधार पर नहीं, ऐसे में जिन महिला प्रत्याशियों के मायके यूपी में था चुनाव में यूपी-बिहार का पेंच फसने लगा, इस बीच में कुछ महिला प्रत्याशियों ने मायके का जाति प्रमाण पत्र बनाए तो उनमें भी पति का नाम अंकित कर दिया और ससुराल में जाति प्रमाण पत्र बनवाया तो वहां भी अपने माता-पिता का नाम अंकित कर दिया, जब ससुराल से जारी जाति प्रमाण पत्र की जांच शुरू हुई, तो न पिता का नाम वहां मिल रहा था और ना ही पति का नाम मिल रहा था।
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ऐसा ही मामले चेहरियां पंचायत की मुखिया कुमारी वंदना का जाति प्रमाण पत्र दुर्गावती सीओ ने रिजेक्ट कर दिया, उसके बाद से दुर्गावती में अनेको मामले सामने आने लगे, अब नया मामला खजुरा बीडीसी पद पर निर्वाचित जुलेखा बीवी का सामने आ रहा है, हारे हुए प्रत्याशियों ने अधिकारियों को आवेदन देकर उनकी प्रमाण पत्र की जांच करने की मांग की है इसके अलावा अब जाति प्रमाण पत्र के कई अन्य मामले भी संदेह के घेरे में आ गए हैं, अगर समय पर ही मोहनिया की तरह प्रमाणपत्रों की जांच कर पर्चा खारिज कर दिया गया होता तो, चुनाव संपन्न होने के बाद अधिकारियों को इतनी शिकायतों का दंश झेलना नहीं पड़ता, लोगों का कहना है कि दुर्गावती व मोहनिया के निर्वाची पदाधिकारियों के मत खुद अलग अलग है।
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मोहनिया में अकोली पंचायत के वार्ड नंबर 2 के वार्ड सदस्य प्रत्याशी माजदा खातून पति शाह और नीलम देवी पति मुकेश गुप्ता का पर्चा इसलिए खारिज कर दिया कि उनके पत्र में संलग्न जाति प्रमाण पत्र यूपी से जारी था लेकिन दुर्गावती प्रखंड में जारी किए गए सभी प्रमाण पत्र को मान्य करते हुए पर्चा नहीं खारिज किया गया, यहां तक कि महिला आरक्षित सीट पर भी ससुराल में बने प्रमाण पत्र को भी मान्य कर दिया गया, चुनाव संपन्न होने के बाद इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, इस तरह के मामलों में कौन सही है और कौन गलत इसका फैसला अधिकारियों को करना है, प्रखंडवासियों ने इस तरह के मामले में जो भी दोषी हो उन पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई करने की मांग पदाधिकारियों से की है।