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गठित टीम ने मोतीपुर में बलमी चौक के पास वाहनों की जांच शुरू की, इस दौरान असम के नंबर प्लेट वाली का आती कार देख रोककर तलाशी ली गई जिसमें से 11.50 लाख रुपए के जाली नोट बरामद हुए हैं, गिरफ्तार तस्करों की पहचान छपरा जिला के कोपा थाना के चौखरा गांव के नीरज सिंह, छपरा अमनौर के मदरौली निवासी राजू सिंह, छपरा अमनौर के फिरोजपुर निवासी आलोक भगत और मुजफ्फरपुर सरैया के बखरा निवासी मो. असलम के रूप में हुई है, इन सभी से पूछताछ में टीम को अहम जानकारी मिली है, इसी आधार पर आगे कार्रवाई की जा रही है।
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इन नकली नोटों के तस्करों का गिरोह सिर्फ मुजफ्फरपुर में नहीं बल्कि छपरा, वैशाली, मोतिहारी समेत कई जिलों में सक्रिय है, नकली नोट का कारोबार नेपाल और बांग्लादेश में चलता है, वहीं से बॉर्डर पार कर जाली नोट भारत पहुंचते हैं, इसके बाद यह तस्कर इसे मार्केट में खपाते हैं, तस्करों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि असली नोटों के बंडल में छुपाकर जाली नोटों खपा देते थे, छोटी जगह पर तो कई बार इसी नोट से काम चला देते हैं, दुकानदार आसानी से पकड़ नहीं पाते थे जब अधिक रुपए काम होता था, तब बंडल में से छुपा कर रख देते थे, जिससे आसानी से जाली नोट चल जाते है, और यह लोग इसमें कभी नहीं पकड़े गए थे।
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जाली नोट 500, 200 और 100 के है, दिखने में एकदम असली लगते हैं, एक आम आदमी देख कर यह छूकर बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह नोट नकली है, पुलिस की टीम भी चौक गई जब उन्होंने इसे छू कर देखा तो एकदम असली मालूम हुआ लेकिन आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार इसकी जांच की गई तब जाली नोट होने का पता चला, जाली नोट पता लगाने के 10-12 तरीके होते हैं, उन्हीं मानकों में से 3-4 तरीकों में ये नोट खरा नहीं उतरा, जिसके बाद सख्ती से पूछताछ की गई तो इन तस्करों ने स्वीकार किया कि यह नोट जाली हैं।
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इससे पूर्व भी पिछले साल अगस्त में साढे 7 लाख रुपयों के नकली नोट के साथ मोतीपुर से ही मुजफ्फरपुर की पुलिस ने 7 तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, टीम के हाथ इस पूरे गिरोह के संबंध में अहम सुराग मिले थे, तब से लेकर आज तक टीम इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी थी लेकिन इनका नेटवर्क नहीं पता लग रहा था, इसी दौरान गुप्त सूचना मिलने पर कार्रवाई की गई और नकली नोटों के साथ तस्करों को गिरफ्तार किया गया।