Monday, June 2, 2025
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट जल-जीवन-हरियाली योजना से बिहार हो रहा खुशहाल, पेयजल संकट अब नहीं बनेगी मुसीबत

जल ही जीवन है, यह कहावत यूं ही चरितार्थ नहीं है। जल के बगैर जीवन जीना असंभव है। चांद पर जीवन को संभव को बनाने के लिए विश्व के वैज्ञानिक लगातार जल की खोज में लगे हुए हैं। तरह-तरह के रिसर्च चल रहे हैं। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण पानी की अत्यधिक उपयोग और बर्बादी से वाटर का लेवल दिन-प्रतिदिन घटता चला जा रहा है। जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए जल का संकट पैदा हो सकता है। आज भी पीने के शुद्ध जल की देश में जबरदस्त किल्लत है। हर जगह के कुएं, तालाब, हैंडपंप सूख रहे हैं। बिहार भी इससे अछूता नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार आज इस संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पहल कर रहे हैं। बिहार में तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पौधा-रोपड़ पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद आगे बढ़ कर अपने हाथों से पौधा रोपड़ कर बिहार की जनता को संदेश दे रहे हैं कि यह जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है।2023 तक 24 हजार 524 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है बिहार सरकार
एक पेड़ साल में 20 किलो धूल सोखता है और 700 किलो ऑक्सीजन छोड़ता है। साथ ही 20 हजार किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। गर्मियों में एक पेड़ के पास सामान्य से लगभग 4 डिग्री कम तापमान रहता है। इस तरह घर के पास 10 पेड़ लगे हों तो आदमी की उम्र 7 साल तक बढ़ जाएगी। इसी के मध्य नजर पर्यावरण संतुलन, पर्याप्त जल और हरित आवरण बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरूआत की है। वर्ष 2023 तक जल जीवन हरियाली योजना के अंतर्गत बिहार सरकार का 24 हजार 524 करोड़ रुपये खर्च हुआ है। बिहार में घटते वाटर लेवल को बैंलेस करने के लिए कई तरह के नियम और कानून बनाए गए हैं। बिहार के लोगों पर गहराता पेयजल की संकट से उबारने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर संभव कोशिश में लगे हैं। इसके लिए वे किसी भी तरह की चुनौती से निपटने के लिए तैयारी कर चुके हैं।

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2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी जल जीवन हरियाली योजना की शुरूआत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 26 अक्टूबर 2019 को बिहार में जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की थी। जिसके अंतर्गत राज्य में पौधा लगाना, छोटे तालाब और कुआं का निर्माण कराना योजना का मुख्य लक्ष्य रहा। इस योजना के तहत 5 चीजों पर ध्यान केंद्रित किया गया- पहला तालाबों का निर्माण कराना दूसरा आहार और पाइन का निर्माण करना तीसरा रेन वाटर हार्वेस्टिंग चौथा पौधे लगाना और पांचवा कुआं का निर्माण कराना। राज्य में रह रहे किसानों को बिहार सरकार 75500 रुपये की सब्सिडी मदद राशि के रूप में प्रदान कर रही है। जिससे उन्हें तालाब,  कुंआ,  खेतों की सिंचाई का कार्य करने में दिक्कत न हो। राज्य के 280 ब्लॉक जल की कमी होने की वजह से प्रभावित हुए हैं। क्योंकि भूमि का जलस्तर राज्य के कई जिलों में काफी हद तक नीचे और कम होता चला गया। आए दिन बहुत से पेड़ काटे जा रहे है, जिसके कारण गर्मी बढ़ने से नदियां, तालाब सूखते जा रहे हैं। पेड़-पौधों की कमी होने से ऑक्ससीजन की कमी भी हो गई है। ऑक्सीजन की कमी के कारण ही लोगों को सांस लेने में भी परेशानियां आने लगी है। हरियाली की कमी के कारण लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न प्रकार की बिमारियां बढ़ती जा रही है। बिहार सरकार ने पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल और प्रकृति में हरियाली बनाये रखने के उद्देश्य से यह जल जीवन हरियाली योजना चलाया है।

15 प्रतिशत तक हरित आवरण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा बिहार

देश में पर्यावरण में असंतुलन पैदा होने से जलवायु परिवर्तन संबंधित कई समस्याएं हो रही हैं। धरती के किसी भी हिस्से में पर्यावरण से छेड़छाड़ होने का असर पृथ्वी के दूसरे भागों में भी देखने को मिलता है। बिहार में ऐसी कोई गतिविधि नहीं हो रही है जिससे पर्यावरण संकट हो लेकिन यहां भी जलवायु परिवर्तन के असर दिख रहे हैं। वर्ष 2007 में 22 जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी। वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी हुई और वर्ष 2016 में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से इसके आसपास के क्षेत्र प्रभावित हुआ था। वर्ष 2017 में फ्लैश फ्लड की स्थिति भी बनी थी। बिहार में वर्ष 2018 में 280 प्रखंड में सुखाड़ की स्थिति पैदा हुई थी। मिथिलांचल समेत राज्य की कई जगहों पर भूजल स्तर में काफी गिरावट आयी और उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति आयी। भारी वर्षा के कारण कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जलवायु परिवर्तन के रूप में मानसून के देर से आने के साथ-साथ अनियमित होने जैसे कई कारक सामने आ रहे हैं। पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति पैदा हो रही है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। रेगिस्तान का फैलाव बढ़ता जा रहा है। झारखंड से बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण क्षेत्र 9 प्रतिशत के करीब रहा था। जिसके बाद बिहार के हरित आवरण क्षेत्र को बढ़ाने के लिए जंगल के संरक्षण के साथ-साथ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया। कृषि रोड मैप में 15 प्रतिशत तक हरित आवरण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई काम किए जा रहे हैं। हरियाली मिशन की स्थापना कर 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 19 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। राज्य के स्तर पर आकलन बताता है कि 15 प्रतिशत के हरित आवरण क्षेत्र के करीब बिहार पहुंच गया है। बिहार राज्य का जनसंख्या घनत्व अधिक है। इसलिए बहुत ज्यादा हरित आवरण क्षेत्र नहीं बढ़ाया जा सकता है। फिर भी 17 प्रतिशत हरित आवरण क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम किया जा रहा है। जल और हरियाली के बीच ही जीवन है। हरियाली है तभी जीवन है। चाहे वह मनुष्य का हो या जीव-जंतु का हो या पशु पक्षी का। इसलिए बिहार पर गहराता जल संकट को सही समय पर संतुलित करने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अग्रगामी सोच को बिहार के लोग सलाम करते हैं। उनके द्वारा चलाया जा रहा जल जीवन हरियाली योजना से अब बिहार के लोग खुशहाल हैं। यहां के लोगों के लिए शायद ही भविष्य में पेयजल जैसी संकट की समस्या पैदा हो।

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