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शारदा सिन्हा का पैतृक निवास हुलास गांव में स्थित है। पुराने खपरैल का उनका घर अब टूट चुका है, किन्तु उनकी मायके की यादे आज भी वहां जीवित हैं। वर्तमान में नए मकान बने हैं। शारदा सिन्हा के बीमार होने की खबर मिलते ही परिवार के सदस्य दिल्ली रवाना हो गए। गांव वालों का कहना है कि शारदा सिन्हा का अपने मायके से गहरा एवं भावनात्मक जुड़ाव है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा इसी गांव में हुई थी,और उनका गांव के प्रति स्नेह अंतिम समय तक बना रहा। वही शारदा सिन्हा के निधन की खबर मिलते ही उनके ससुराल में भी शोक की लहर दौड़ गई। शारदा सिन्हा भले ही पटना में रहती थी पर उनका लगाओ अपने ससुराल बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड के सिहमा गांव से कम नहीं था।2 साल पूर्व तक वह प्रत्येक छठ में अपने ससुराल सिहम जरूर आया करती थी। इधर 2 वर्षों से स्वास्थ्य कारणों से वह छठ में नहीं आई थी।
शारदा सिन्हा के देवर जय किशन सिंह उर्फ नितो दा बताते हैं कि सेलिब्रिटी होने के बाद भी गांव से उनका लगाओ कम नहीं था। 1965 के आसपास शारदा सिन्हा का विवाह ब्रजकिशोर सिंह से हुआ जो समस्तीपुर में ही प्राइवेट कालेज चलाया करते थे। वहीं से उनकी शादी हुई शादी का संपूर्ण रश्म समस्तीपुर में ही संपन्न हुआ था। शारदा सिन्हा को एक पुत्र अंशु एवं एक पुत्री वंदना है दोनों की शादी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सुबह से जब बीमार होने की सूचना मिली तो उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा पाठ भी किया जा रहा था, वही शारदा सिन्हा के पति का भी सितंबर में ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया था।