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राष्ट्रपति के सामने एक औपचारिक कार्यक्रम में जिस तरह से वह भाषण दे रहे हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि वह भूजा खाते हुए लोगों से बात कर रहे हैं। लगता है अब उनपर उनकी उम्र का असर हो रहा है, और कहीं थोड़ा बहुत अहंकार भी है। किसी भी कार्यक्रम में वह किसी भी बात को सीरियस न लेते हुए मजाक में उड़ा देते है। नीतीश कुमार का तकिया कलाम है कि अरे इसको कुछ आता है। अरे भाई! किसी को कुछ नहीं आता है, आपको तो आता है। आप इस राज्य के मुख्यमंत्री हैं, आप इसे सुधारिए। अगर आप ही को सबकुछ आता है, तो बिहार सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य क्यों है।
आगे प्रशांत किशोर के कहा की नीतीश कुमार पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। बहुत समझदार-होशियार हैं इसमें भी कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, वो बिहार के केवल एक मात्र पढ़े-लिखे व्यक्ति नहीं हैं। बिहार में हजारों लोग उनसे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं। उनसे ज्यादा समझदार हो सकते हैं। जो भी राजा की कुर्सी पर बैठते हैं, “ऐसा शास्त्रों से पता चलता है कि जो राजा लोगों से विचार-विमर्श और सलाह लेना छोड़ देता है उसका पतन निश्चित है।“ जब आप उस कुर्सी पर बैठते हैं, तो आपको किसी से पूछना चाहिए, बात करनी चाहिए। नीतीश कुमार में आज जो परेशानी है कि उन्होंने बातचीत करना, सलाह लेना छोड़ दिया है। उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हीं को सबकुछ आता है।