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भैंस ने चारा समझकर बम चबाया ब्लास्ट करने से जीभ और जबड़ा छतिग्रस्त

Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के गांगोडीह सरैया में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां एक बम को चारा समझ भैंस ने खा लिया जिस कारण से भैंस का मुंह बुरी तरह से जख्मी हो गया है, पशुपालक अंचल कार्यालय में मुआवजे की आवेदन देने पहुंचे।

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दुर्घटना से संबंधित मिली जानकारी के मुताबिक पहाड़ की तलहटी में बसे गांगोडीह सरैया के कुछ पशुपालक पशुओं को चराने के लिए बलियारी घाट तरफ जंगल में गए हुए थे, लगभग 50 से 60 की संख्या में भैंस थे, घास चरने के दौरान, ग्राम गांगोडीह सरैया के निवासी चतुरगुन बिंद की भैस घास में ही छुपा कर रखा गया पटाखा बम जिससे लोगों के द्वारा जंगली पशुओं को शिकार करने के उद्देश्य से जगह-जगह छुपा के रखा जाता है, उसे भैंस ने खा लिया, जैसे ही दांत के नीचे दबाव पड़ा बम ब्लास्ट कर गया।

जिस कारण से भैंस की जीभ और जबड़ा बुरी तरह से जख्मी हो गया, काफी तेज आवाज और काफी धुंआ उठने से पशुपालक घबरा गए, तत्काल मौके पर पहुंचे तब तक भैंस वहीं छटपटाने लगी, पशुपालक के द्वारा किसी तरह से भैंस को उठाकर गांगोडीह सरैया लाया गया, जिसके बाद उपचार करवाया जा रहा है, मगर भैंस के मुंह के जीभ और जबड़े गंभीर रूप से जख्मी होने के कारण भैंस कुछ खा नहीं पा रही है।

इससे जुड़ी जानकारी देते हुए गांगोडीह के निवासी चतुरगुन बिंद पिता भंग्गू बिंद के द्वारा बताया गया कि अपने भैंस को चराने के लिए बलियारी घाट जंगल की तरफ ले गए थे, सभी भैंस पूरब जंगल की तरफ घांस चर रहे थे, वह भूमि वन विभाग की है, स्थानीय कुछ असामाजिक लोग जिनके द्वारा जंगली पशुओं का शिकार किया जाता है, खासकर जंगली सूअर को मारने के लिए पटाखा बम का इस्तेमाल करते हैं, उसे गीले आटे में लपेट कर ऊपर से सूखा हुआ आटा और ब्रान को लपेट देते हैं और जंगल में जगह जगह रख देते हैं।

रात के पहर जब जंगली सूअर आदि चरने के लिए आते हैं, उसे भोजन समझ कर खाने लगते हैं और दांत के नीचे दबाव पड़ने के कारण वह फट जाता है और वहीं पर छटपटाने लगता है, तब तक जिन लोगों के द्वारा यह पटाखा लगाया गया है, वह उस स्थान पर पहुंचते हैं और उन पशुओं को उठाकर ले जाते हैं उसी पटाखे बम को भैंस के द्वारा खा लिया गया, जिस कारण से जबड़ा और जीभ बुरी तरह जख्मी हो गया, भैंस खाने में असमर्थ है इलाज के बावजूद भी कोई लाभ नहीं है, मुआवजे की गुहार लेकर यह चैनपुर अंचल कार्यालय में पहुंचे थे जहां से बताया गया, अंचल कार्यालय में आपदा से संबंधित सहायता राशि दी जाती है, जो घटना घटित हुई है उसके लिए वन विभाग में आवेदन देना पड़ेगा, इसके बाद यह वन विभाग में आवेदन देने जा रहे हैं।
वहीं इस मामले से संबंधित जानकारी लेन पर चैनपुर अंचलाधिकारी के द्वारा बताया गया, अंचल कार्यालय के माध्यम से आपदा से संबंधित मुआवजा या सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाती है जैसे अगलगी, आकाशीय बिजली, सड़क दुर्घटना आदि मामला वन विभाग से जुड़ा हुआ था इसलिए लोगों को वन विभाग में आवेदन देने के लिए कहा गया है।

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