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दरअसल जदयू और जीत के बीच कुछ उम्मीदवारों में अड़चन डाल दी है इसका कारण है कि कुढ़नी का जो सामाजिक समीकरण है उसमें मुस्लिम वोटर भी निर्णायक माने जाते हैं मुस्लिम वोट अभी तक जदयू राजद और महागठबंधन के साथ रहा लेकिन इस बार और उद्दीन ओवैसी की पार्टी ने अपने उम्मीदवार को उतारकर जदयू के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है गोपालगंज में पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी और अब कुढ़नी में भी जदयू के जीत की राह कठिन बना रही है।
कहां जा रहा है कि बोचहां में भूमिहार मतदाता बीजेपी से नाराज थे आज भी उनकी नाराजगी पूरी तरह से दूर नहीं हो पाई है जदयू इसी का फायदा जल्दी उठाना चाहता है, मोकामा उपचुनाव में भूमिहार वोटों का अधिकांश हिस्सा महागठबंधन को मिला था जिसके चलते तब बीजेपी हार गई थी हालांकि वहां यह बड़ी बात है कि अनंत सिंह और उनका परिवार इस सीट से 6 बार लगातार जीतता रहा है लेकिन कुढ़नी में इस बार मुकेश सहनी ने भूमिहार उम्मीदवार देकर जदयू के लिए मुसीबत खड़ी कर दी हैं।
राजद से नाराज सहनी समाज के एक नेता ने निर्दलीय चुनाव मैदान में जो सहनी वोट काट सकता है जाहिर है इसका घाटा बीजेपी को होगा उतना ही जदयू को भी होगा, मुकेश सहनी के उम्मीदवार उतारने की वजह से स्थानीय वोटों में बटवारा तय है और इसका सबसे ज्यादा नुकसान जदयू को भी हो सकता है लेकिन अति पिछड़ा वोट का जदयू दावा करता रहा है हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि राजद से टिकट छिन जाने की वजह से राजद के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी निराश हैं और इसका खामियाजा भी जदयू को उठाना पड़ सकता है हालांकि जदयू को उम्मीद है कि तेजस्वी यादव के चुनावी मैदान में उतरने के बाद शायद इनकी नाराजगी दूर हो जाये।