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उन्होंने कहा की शराबबंदी कानून 2016 की धारा 42 में चार लाख मुआवजा का प्रविधान है इसी धारा में गंभीर रूप से बीमार को दो लाख रुपया तथा अन्य पीड़ित को 20 हजार रुपया का प्रविधान है, ऐसे में जिनकी आंखें चली गई या जहरीली शराब पीने से विकलांग हो गए उन्हें भी दो लाख रुपया का मुआवजा मिलना चाहिए, मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया में पोस्टमार्टम, चिकित्सा प्रमाण पत्र, शराब विक्रेता का नाम आदि जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए, साथ ही मुआवजे का भुगतान विलंब से करने के कारण ब्याज सहित मुआवजा दिया जाए।
शराबबंदी के बाद करीब 3.61 लाख प्राथमिकी, 5 लाख 17 हजार गिरफ्तारी हुई थी और उसमें 25 हजार अभी भी जेल में बंद हैं, इसमें 90% एससी/एसटी/इबीसी हैं, ऐसे में सरकार को आम माफी का ऐलान कर, सभी मुकदमे वापस लेना चाहिए, मोदी ने कहा कि जेलों में बंद 25 हजार से ज्यादा लोगों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए, शराब मामले में गिरफ्तार लोगों को अलग जेल में रखा जाए।
उन्होंने कहा कि किसी माफिया को आज तक सजा नहीं हुई यही नहीं छह वर्षों में जहरीली शराब की घटनाओं के लिए दोषी एक भी व्यक्ति को सजा नहीं 2016 में 19 मृत्यु के पश्चात सजा प्राप्त लोगों को पटना उच्च न्यायालय ने मुक्त कर दिया आजतक स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं किया गया सीएम स्पीडी ट्रायल की बात करते हैं लेकिन शुरू नहीं हुआ।
बिहार में नाम मात्र की शराबबंदी है।