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भागलपुर में विषहरी मां की प्रतिमा कड़ी सुरक्षा के बीच नम आंखों से की गई विसर्जित

Bihar: भागलपुर जिले के चंपा नगर स्थित मां मनसा देवी के मुख्य मंदिर से देर रात विषहरी मां की प्रतिमा कड़ी सुरक्षा के बीच नाम आंखों से विसर्जित की गई इस दौरान काफी संख्या में पुलिस बल तैनात थी श्रद्धालु प्रतिमा को कंधे पर लेकर चंपा नदी तक पहुंचे और विसर्जित किया, इसी तरह सती बिहुला अपने मृत पति बाला लखेन्द्र को लेकर केला के थम पर सवार होकर गंगा के रास्ते से जीवित कराने के लिए स्वर्गलोक निकली थी।

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विषहरी पूजा

दरअसल विषहरी पूजा से जुड़ी कहानी अंग की लोककथा के मुताबिक बाला-बिहुला विषहरी पूजा का चंपा नगरी में उद्भव स्थल है, यही पर माता विषहरी को सती बिहुला के कारण ख्याति प्राप्त हुई थी भगवान शंकर की दत्तक पुत्री विषहरी माता उनकी तरह ही ख्याति प्राप्त करना चाहती थी इसको लेकर भगवान शंकर से अपनी मंशा जाहिर की।

भगवान शंकर ने उन्हें बताया कि अंग प्रदेश में मेरा एक भक्त चांदो सौदागर है अगर वह तुम्हारी पूजा श्रद्धा भाव से कर लेता है तो तुम्हें ख्याति मिल जाएगी विषहरी ने शिव भक्त चांदो सौदागर से अपनी पूजा करने की जिद की लेकिन सौदागर ने पूजा करने से मना कर दिया तो विषहरी में सर्प दंश से उनके परिवार का नाश करना शुरू कर दिया।

सौदागर के अंतिम पुत्र बाला लखेंद्र की शादी बिहुला से हुई थी शादी के दिन एक लोहे का घर बनाया गया जिसमें सुरक्षा को लेकर हवा आने की सुई भर छेद नहीं था, इसके बावजूद भी विषहरी ने किसी तरह महल के अंदर प्रवेश कर बाला लखेंद्र को डंस लिया मृत लखेन्द्र को जीवित कराने के लिए सती बिहुला केले के थम पर सवार होकर गंगा के रास्ते स्वर्गलोक निकल पड़ी थी और उससे जीवित कर वापस लाया था, तब से चांदो सौदागर ने बाएं हाथ से विषहरी की पूजा करना शुरू कर दिया, चंपानगर में मनसा देवी की मुख्य मंदिर है जहां हर साल 17 अगस्त को विषहरी पूजा की जाती है।

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