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वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद इस सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव हुआ था जिसमें उनके पुत्र अमर कुमार पासवान ने वीआईपी को छोड़कर राजद उम्मीदवार बने वीआईपी ने रमई राम की पुत्री डॉ गीता कुमारी को मैदान में उतारा भाजपा से वर्ष 2015 के चुनाव में निर्दलीय विधायक बनी बेबी कुमारी मैदान में थी।
आडीएस कालेज स्थित मतगणना केंद्र में पहले राउंड की गिनती में भाजपा उम्मीदवार करीब 500 वोटों से आगे थी लेकिन अगले ही राउंड के बाद राजद ने बढ़त बना ली और अंत तक कायम रहा 25 राउंड की गिनती के बाद राजद उम्मीदवार को कुल 82,562 वोट मिले वहीं भाजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी को 45,909 वोट मिले हैं जबकि वीआईपी प्रत्याशी डॉ गीता कुमारी को 29,289 वोट मिले हैं वही नोटा को 2,967 वोट मिले है, यह वोट कांग्रेस उम्मीदवार तरुण चौधरी से अधिक है, तरुण चौधरी को 1336 वोट मिले हैं।
विधानसभा आमचुनाव में इस सीट पर एनडीए को करीब 77,000 वोट मिले थे एनडीए से वीआईपी के अलग होने से उपचुनाव में भाजपा को सहनी के वोट के नुकसान की आशंका जरूर थी, मगर पार्टी के आधार वोट में भी सेंधमारी हुई है, नाराज भूमिहार समाज का वोट राजद खेमे में चला गया इससे यह राजद का माय समीकरण भु-माय के साथ और मजबूत हो गया, इसके अलावा चिराग पासवान के भी उम्मीदवार नहीं होने से पासवान के अधिकतर वोट राजद को गए हैं।
केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने अंतिम समय में चुनाव प्रचार किया मगर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभा की मगर एनडीए पूरी तरह से एकजुट नहीं हो सकी यही कारण है कि राजद को बड़ी जीत मिली है, वहीं वीआईपी उम्मीदवार ने भी 29,000 से अधिक वोट लाकर भाजपा को कमजोर कर दिया।
बोचहां विधानसभा आमचुनाव में जहां राजद उम्मीदवार रमई राम को करीब 66,000 वोट मिले थे उपचुनाव में राजद को उससे 6000 अधिक वोट मिले हैं वही पिता मुसाफिर पासवान से अमर कुमार पासवान को 5000 अधिक वोट मिले हैं, वीआईपी उम्मीदवार के रूप में मुसाफिर को आम चुनाव में 70,000 से अधिक वोट मिले थे, उपचुनाव में अमर पासवान को 82 हजार से अधिक वोट मिले हैं जो इस सीट पर सबसे अधिक मत है, साथ ही सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की गई है।