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राजद के विधायक व पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने स्वीकार किया है कि तृतीय स्नातक परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया है तो इसके बाद भी उसे रद्द नहीं किया जा रहा है इसका मतलब है कि आयोग के अधिकारियों को संलिप्तता दृष्टया देता साफ दिखती है इससे स्पष्ट है कि आयोग ने प्रश्नपत्र छात्रों के बीच बेचा है आयोग अपनी विश्वसनीयता कायम रखने के लिए परीक्षा को हर हाल में रद्द करे और नए तरीके से परीक्षा ले, सरकार को संज्ञान लेना चाहिए कि आयोग में बैठे लोग किसी ना किसी तरह भ्रष्टाचार में शामिल हैं ऐसे लोगों पर सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
वहीं भाकपा माले के युवा विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि हम देख रहे हैं कि लगातार बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक मामला सामने आ रहा है, बीएसएससी(BSSC) परीक्षा से पहले बीपीएससी 67वी पीटी परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हो गया था बीएसएससी बहाली 2014 में इंटर स्तरीय थी उसका पेपर भी लीक हुआ था तब अध्यक्ष और सचिव को जेल जाना पड़ा था और लंबे समय बाद बहाली आई थी, छात्र सेंटर पहुंचे लेकिन उन्हें पता चले की प्रश्न पत्र लीक हो गया तो कैसा लगा होगा BSSC ने जूता पहन कर आने की मनाही की, चप्पल पहन कर सेंटर में आने को कहा, कलम लेकर आने से मना किया, लेकिन ये सब महज दिखावा साबित हुआ। दिखावे से पेपर लीक की घटना नहीं रुक सकती।
छात्र-छात्राओं को यूपीएससी(UPSC), बीपीएससी(BPSC), बीएसएससी(BSSC) जैसी परीक्षाओं का तैयारी कराने वाली गुरु रहमान का कहना है कि जब भी बीएसएससी(BSSC) का पेपर 11:20 पर लीक हुई तो स्पष्ट है कि पेपर लीक हुआ है इसमें अधिकारी यह बात नहीं कह रहे हैं कि आंसर का आदान-प्रदान नहीं हुआ है सबसे बड़ी बात यह है कि 1 मिनट पहले भी प्रश्न पत्र लीक होता तो भी उसे लीक माना जाता निश्चित रूप से माफियाओं की बहुत बड़ी साजिश है इसलिए आयोग के अध्यक्ष और सचिव का दायित्व बनता है कि जल्द ही इस परीक्षा को रद्द करें, प्रश्नपत्र लीक हुआ है इसमें किसी दलाल के अधिकारियों किसी नेता की साजिश है, 40 मिनट पहले प्रश्न पत्र लीक होना मायने रखता है सवाल यह है कि बीएससीसी, बीपीएससी में ऐसा कौन माफिया है जो प्रश्न पत्र को बेच देते हैं जिस पर नकेल नहीं कसा जा रहा है।