Bihar, पटना: महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में बिहार सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत राज्य के हर परिवार से एक महिला को उनकी पसंद के रोजगार की शुरुआत करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। शुक्रवार को हुई विशेष कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा करते हुए कहा कि 2005 में सरकार बनने के बाद से ही महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार ने महिलाओं को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए, जिनके सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं। महिलाएं आज न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं बल्कि बिहार की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
योजना की मुख्य बातें
1. प्रारंभिक आर्थिक सहायता: हर परिवार की एक महिला को उनकी पसंद का रोजगार शुरू करने के लिए 10 हजार रुपए की राशि पहली किस्त के रूप में दी जाएगी।
2. आवेदन प्रक्रिया: इच्छुक महिलाओं से आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसका संचालन ग्रामीण विकास विभाग करेगा और आवश्यकता पड़ने पर नगर विकास एवं आवास विभाग भी सहयोग करेगा।
3. सितंबर 2025 से शुरुआत: योजना के तहत सितंबर 2025 से महिलाओं के बैंक खातों में सीधे राशि भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
4. अतिरिक्त सहायता: रोजगार शुरू करने के 6 माह बाद महिलाओं के कामकाज का आकलन किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जाएगी।
5. हाट-बाजार का विकास: राज्य में गांव से लेकर शहर तक महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करने के लिए विशेष हाट-बाजार विकसित किए जाएंगे।
महिला सशक्तिकरण की नई पहल
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना महिलाओं के लिए रोजगार का नया अवसर साबित होगी। उन्होंने विश्वास जताया कि इसके क्रियान्वयन से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि राज्य के भीतर ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके चलते लोगों को रोज़गार की तलाश में बाहर पलायन करने की मजबूरी भी कम होगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि उनकी सरकार की प्राथमिकता हमेशा से महिला शिक्षा और आत्मनिर्भरता रही है। पहले पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण, फिर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार और अब यह नई योजना—ये सब कदम महिलाओं को समाज और परिवार में नई पहचान दिलाने के लिए हैं।
उम्मीदें और संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। महिलाएं जैसे—बुटीक, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन और स्वरोजगार के अन्य क्षेत्र चुनकर आगे बढ़ सकती हैं। सरकार की ओर से हाट-बाजार उपलब्ध कराने की पहल से महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए प्लेटफॉर्म मिलेगा और उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।
राज्य सरकार का यह प्रयास बिहार में महिला सशक्तिकरण के नए आयाम स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। आने वाले समय में इसके दूरगामी और सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।