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बिहार में मां के दूध में यूरेनियम की मौजूदगी का खुलासा, माताओं में दहशत—पर विशेषज्ञों ने दी राहत

बिहार में मां के दूध में यूरेनियम! छह जिलों की रिपोर्ट से हड़कंप, विशेषज्ञों ने दी बड़ी राहत

पटना: बिहार से आई एक चौंकाने वाली वैज्ञानिक रिपोर्ट ने माताओं और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। प्रतिष्ठित इंटरनेशनल साइंस जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित एक संयुक्त रिसर्च में पटना महावीर कैंसर संस्थान और दिल्ली AIIMS के विशेषज्ञों ने यह दावा किया है कि बिहार के छह जिलों में स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में यूरेनियम पाया गया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जिलों की कुल 40 महिलाओं के स्तन दूध के नमूने लिए गए थे। जांच में इन नमूनों में यू-238 (Uranium-238) की मौजूदगी दर्ज की गई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई और माताओं के बीच स्वाभाविक डर का वातावरण बन गया।

यूरेनियम एक रेडियोधर्मी तत्व है, जिसके अत्यधिक स्तर किडनी, लिवर, दिमाग और हड्डियों पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। लेकिन इस शोध ने एक तरफ दहशत पैदा की है तो दूसरी ओर राहत की भी जानकारी दी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि खगड़िया जिले के नमूनों में यूरेनियम की मात्रा 6 माइक्रोग्राम पाई गई जो कि WHO के 30 माइक्रोग्राम के खतरनाक स्तर से काफी कम है। यानी फिलहाल स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे की आशंका नहीं है।

भोजपुर के सिविल सर्जन ने स्पष्ट कहा कि “यह रिपोर्ट चिंताजनक जरूर है, लेकिन अभी घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हालात स्वास्थ्य जोखिम की सीमा से बाहर नहीं गए हैं।”

वहीं आरा सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विकाश कुमार ने बताया कि “40 महिलाओं के सैंपल में यूरेनियम मिला जरूर है, लेकिन इसकी मात्रा बेहद कम है। मां का दूध बच्चों के लिए हमेशा से सबसे सुरक्षित और सर्वश्रेष्ठ रहा है, यह रिपोर्ट उस सत्य को नहीं बदलती।”

वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरेनियम के शरीर में जाने का मुख्य कारण दूषित भूजल और रासायनिक उर्वरक हो सकते हैं। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर में मिनरल इंफ़ेक्शन और भारी धातुओं के मिलने की शिकायतें पहले भी सामने आ चुकी हैं।

विशेषज्ञ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

साफ और फिल्टर्ड पानी का उपयोग, पौष्टिक और घरेलू भोजन को प्राथमिकता, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक से दूरी, नियमित स्वास्थ्य जांच, इन सबको अपनाकर संभावित खतरे से बचा जा सकता है।

अब सबसे बड़ा सवाल सामने है— क्या बिहार के पानी में यूरेनियम की मौजूदगी सामान्य है या किसी गहरी पर्यावरणीय समस्या का संकेत? स्वास्थ्य विभाग ने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए प्रभावित जिलों में पानी की गुणवत्ता की व्यापक जांच कराए जाने की बात कही है। आने वाले दिनों में सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जाते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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