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जानकारी के अनुसार इसका उत्पादन मई 2022 से शुरू होने की संभावना है, इसके लिए राज्य के प्लास्टिक उत्पादकों ने बायोडिग्रेडेबल दाना को सिपेट चेन्नई स्थित टेस्टिंग के लिए भेजा है, जिसमें 6 से 7 महीने का समय लगेगा, जिससे लोगों की ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी, बिहार प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन के श्री कुमार कहते हैं कि राज्य के बाहर से आने वाला बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के लिए लोगों को 6 से 7 गुना ज्यादा पैसे देना पड़ेगा, 25 पैसे की प्लास्टिक बैग के लिए डेढ़ रुपए चुकाना पड़ेगा।
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साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने से इस धंधे में लगे कई उद्यमियों की पूंजी टूट जाएगी और कई उद्यमी कर्ज में फंस जाएंगे, राज्य में प्रतिदिन 60 टन से ज्यादा सिंगल यूज वाले प्लास्टिक का उत्पादन होता है, राज्य में लगभग 20 बड़े उत्पाद इकाइयां है जो निबंधित है, इसके अलावा बड़ी संख्या में छोटी-छोटी सैकड़ों उत्पाद इकाइयां है, प्लास्टिक इंडस्ट्री में लगभग 100 करोड़ की पूंजी लगी हुई है, इसमें बैंकों द्वारा कई इकाइयों को कर्ज दिया गया है।
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वही बिहार के चेयरमैन कमल नोपानी ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगने वाले प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है, उन्होंने निवेदन किया है कि पूरे देश में एक जुलाई 2022 से एक उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू किया जा रहा है, राज्य में भी इस प्रतिबंध को इसके साथ ही लागू किया जाए।