Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
इस बात की चर्चा उस वक्त शुरू हो गई जब दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर रहे थे आरजेडी नेता भोला प्रसाद ने प्रस्ताव रखा कि आरजेडी के निशान झंडा और तमाम चीजों में बदलाव होगा तो वह तेजस्वी यादव या लालू यादव करेंगे, सूत्रों के अनुसार पुराने जनता दल का एक बार फिर उदय हो जाएगा जनता दल टूट कर ही राजद और जदयू बना था अब एक बार फिर दोनों दल आपस में मिलेंगे तो जनता दल जैसी तस्वीर बनेगी, नाम और निशान में बदलाव के लिए राजद के पहले कदम बढ़ा दिया है दिल्ली में 10 अक्टूबर की राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय सम्मेलन में इस कदम पर अधिकार की मुहर भी लग चुकी है।
नई पार्टी का स्ट्रक्चर काफी संतुलित बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नीतीश कुमार को आगे किया जाएगा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगर पार्टी अध्यक्ष बनेंगे तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नेता के तौर पर उभारने की पूरी कोशिश की जाएगी नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी के बराबर तैयार किया जाएगा बताया जा रहा है कि जिस तरह की स्थिति बनेगी उसके मुताबिक कुछ बदलाव भी किए जाएंगे।
विलय के बाद भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ना रहे मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रहे लेकिन कमान नीतीश कुमार के ही हाथों में रहेगी जिससे तेजस्वी यादव स्वीकार करेंगे, मुख्यमंत्री ने सब कुछ सोच समझकर गठबंधन किया है आने वाले समय में भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर टक्कर देने के लिए अपने आप को मजबूत करेंगे और तेजस्वी यादव बिहार में बीजेपी से लोहा लेंगे, वही इन सबकेबीच बिहार विधानसभा परिषद के नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जैसे ही यह विलय होगा, नीतीश कुमार समाप्त हो जाएंगे बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो चुके हैं और जैसे ही दोनों दलों का विलय होगा वह समाप्त भी हो जाएंगे जिस तरह से 30% MY समीकरण का वोट लेकर लालू यादव पिछले 31 सालों से अपनी राजनीति कर रहे हैं नीतीश कुमार उसमें समा जाएंगे, अब बिहार की जनता समझ चुकी है कि यह दोनों नेता मिलकर बिहार की जनता को धोखा दे रहे हैं।