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लोकसभा में बिहार का जो प्रतीक चिन्ह है उसमें बौद्ध वृक्ष, पाटलिपुत्र की दीवार और स्वास्तिक के साथ जो चिन्ह प्रदर्शित किया गया है वह ज्यादा उपयुक्त है और वही असली है, बीजेपी के विधायक संजीव चौरसिया ने साफ कहा है कि जो चिन्ह इस्तेमाल हो रहा है वह ज्यादा उपयुक्त है बिहार सरकार इसी चिन्ह का इस्तेमाल करे इसको लेकर बिहार विधानसभा में भी एक गैर सरकारी संकल्प दिया गया है।
संजीव चौरसिया ने कहा कि जो चिन्ह बिहार सरकार के प्रयोग में लाया जा रहा है वह उपयुक्त नहीं है जो पहले का चिन्ह है वही प्रयोग में लाना चाहिए पुराना चिन्ह पहले से चला आ रहा था लेकिन हाल के दिनों में बदल गया पुराने चिन्ह को अपनाने के लिए सरकार के सामने मैंने यह सवाल रखा है।
संजीव चौरसिया के इस बयान के बाद बिहार की राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है जदयू एमएलसी खालिद अलवर का कहना है कि बिहार में कुछ भी नहीं बदलने जा रहा है जो पुरानी परंपरा है और पूर्व से जिस चिन्ह का इस्तेमाल किया जा रहा है उसी का इस्तेमाल होता रहेगा नीतीश कुमार बनाने में विश्वास रखते हैं बदलने में नहीं, बिहार में ना तारीख बदलेगी ना ही किसी शहर का नाम और ना ही बरसों पुराना बिहार का चिन्ह बदलेगा यह बेवजह की मांग की जा रही है जो चल रहा है वही सही है।
दरअसल पहले और अब के चिन्ह में थोड़ी भिन्नता है पहले बोधि वृक्ष में पत्ते नीचे की तरफ आते हुए हैं पर अभी जो चिन्ह उपयोग में लाया जा रहा है उसमें पत्ते ऊपर की तरफ है पहले का वृक्ष घना है लेकिन अब का वृक्ष घना नहीं है पुराने तर्ज पर ही बिहार विधानसभा परिषद में बिहार का लोगो तैयार किया जा रहा है इसका लोकार्पण 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले हैं।