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वहीं इस मामले को याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 27 हजार से अधिक महिलाओं का गर्भाशय महिला के बिना अनुमति के निकाल लिया गया था ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत फायदा उठाकर पैसे का उगाही कर सकें इसमें डॉक्टर और बीमा कंपनी की मिलीभगत की बात सामने आई थी इसे लेकर अधिवक्ता दीनू कुमार ने शामिल डॉक्टरों और अस्पतालों का लाइसेंस रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की थी।
बताते चले की कि केंद्र सरकार ने 2011 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू किया था इसके तहत बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों का 30 हजार रुपए तक का इलाज मुफ्त में में करना था और इसके लिए बिहार के 350 के आसपास अस्पतालों का चयन किया गया था।