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फिल्मी स्टाइल में भतीजे ने रचा चक्रव्यू चाचा की कर दी हत्या, पुलिस ने उठाया मामले से पर्दा

Bihar: भागलपुर जिले के लोदीपुर बायपास इलाके में बैजानी गांव निवासी स्टूडियो संचालक आशीष कुमार मिश्रा की हत्या का आरोपित उसका खुद का चचेरा भतीजा दीपक मिश्रा ही निकला, उसने बैजानी गांव में ही खरीदें गए जमीन के एक टुकड़े को लेकर हुए विवाद में अपने चचेरे चाचा की हत्या कर दी।

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NAYESUBAH

आरोपित ने चाचा की हत्या को बहुत ही नाटकीय अंदाज में करने की योजना बना कर रखी थी, मामले का उद्भेदन होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, साथ ही आरोपित ने भी इस में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है उसने पुलिस के सामने कबूल किया कि हत्या के लिए उसके लोदीपुर बायपास पेट्रोल पंप के समीप एक प्लॉट दिखाने के लिए मृतक को 5 फरवरी को राजी किया।

मृतक की पत्नी ने जमीन देखने जाने से मना किया था लेकिन वह जिद कर उसे बाईपास इलाके में ले गया था, वहां खुद बड़े फल वाले चाकू से उसे सिर में घातक घाव कर मार डाला और गढ़ी कहानी पुलिस को सुना तफ्तीश में लगी पुलिस को भटकाने की कोशिश की।

भतीजा दीपक मिश्रा
भतीजा दीपक मिश्रा

हालांकि पुलिस आरोपित के बार-बार बयान बदलने और असमान्य हरकत करने और परिस्थितिजन्य साक्ष्य को देखते हुए उसे संदेह के घेरे में रख कर निगरानी कर रही थी, आरोपित और उसके कुछ नजदीकियों ने कॉल डिटेल आदि से भी पुलिस को भरमाने की कोशिश की लेकिन रविवार की रात डीएसपी विधि व्यवस्था ने एसएसपी के बताए बिंदु पर छानबीन कर उन तमाम भरमाने वाले साक्ष्यों को झुठलाते हुए हत्यारोपित को गिरफ्तार किया।

एसएसपी और डीएसपी ने घटनास्थल पर उन तमाम साक्ष्यों से मिलान कर घटना का नाट्य रूपांतरण भी कराया, आरोपित ने आशीष के सिर पर पहला गहरा वार जब किया तो वहां खून काफी गिरे थे, आशीष के जमीन पर गिरते ही वह दूसरा फिर तीसरा वार कर उसे जमीन पर गिरा दिया था और फिर उसके जमीन पर गिरने के बाद वही ओट में छिप छटपटाते दम टूटने का इंतजार करने लगा, करीब 40 मिनट तक छटपटाने के बाद जब आशीष का शरीर शांत हो गया तब दीपक ने उसके समीप जाकर लात मारकर उसके शरीर को हटा दिया और उस जगह पर खुद लेट गया, अपनी हथेली की उंगली को खुद चाकू से वार कर काट दिया था। ‌

हत्या में प्रयुक्त लंबे फल वाले चाकू को आरोपित ने अपनी ताकत से जहां तक हो घटनास्थल से ही फेंका था, घटनास्थल पर अधिक खून गिरने वाला स्थान पर आशीष के शव को हटाकर आरोपित खुद लेट जाने के बाद पुलिस और घटनास्थल पर आने वाले लोग भ्रमित हो गए थे, वही आरोपित ने ही फोन कर घटना की जानकारी सभी को दी थी।

पुलिस मौके पहुंची और उसे घायल हालत में जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया, उसने हत्या बाद खुद हाथ में जख्म बनाया और अस्पताल में डाक्टरों को ऐसा बहाना बनाते हुए खुद को प्रस्तुत कर राजी कर लिया कि अभी वह बोलने या बयान देने की सूरत में नहीं है, हथेली के जख्म को देखकर डॉक्टर ने भी हामी भरी कि वह जख्म गोली का है, आरोपित खुद बेहोश होने का नाटक दूसरे दिन तक करता रहा।

हत्याकांड का पर्दाफाश पुलिस 1 घंटे में ही कर देती लेकिन कुछ युवकों ने किसी के बहकावे में आकर 5 घंटे तक सड़क जाम कर दिया, पुलिस वालों को उसी के निवारण में उलझाकर रखा, मामले को ऐसा राजनीतिक बना दिया गया कि पुलिस तुरंत पूछताछ भी नहीं कर पाई, मृतक के परिजनों ने भी समझदारी दिखाते हुए तार्किक बुद्धि का परिचय दिया दर्ज केस में दीपक का नाम संदेही के रूप में दिया, इससे पुलिस को सुविधा हुई और आरोपित ने अपना अपराध कुबूल किया।

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