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ये तो तेजस्वी यादव की राजनीतिक नादानी दिखाता है कि वो अपने ही कार्यकर्ताओं को बिका हुआ बता रहे हैं। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि केवल पिता जी की राजनीतिक विरासत मिल जाने से बिहार का राजनेता नहीं बन जाता है। लालटेन से किरासन तेल निकलने के डर से तेजस्वी बौखलाए हुए हैं।
आगे प्रशांत किशोर के द्वारा कहा गया की राजनीति में ऐसे बयान अक्सर विरोधियों को कमजोर दिखाने के लिए दिए जाते हैं, लेकिन कभी-कभी ये खुद की पार्टी में असंतोष और अव्यवस्था का संकेत भी दे देते हैं। जिससे यह भी साफ़ होता है कि जन सुराज आंदोलन की तरफ से राजद को एक चुनौती महसूस हो रही है। तेजस्वी यादव के बयान से यह मामलू होता है कि वे जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हो गए है इसलिए वे इसे रोकने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।