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पृथ्वी के पहले वृक्ष के नीचे अक्षय नवमी पर लोगों ने किया भोजन

Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में अक्षय नवमी की तिथि पर कार्तिक मास में पूरे माह स्नान और पूजन करने वाले लोगों के द्वारा आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार कर खुद भी भोजन करते हुए और लोगों को आमंत्रित कर भोजन करवाया गया है।

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मदुरना पहाड़ी के नीचे स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर में स्थित आंवले के पेड़ के नीचे काफी संख्या में महिला पुरुषों के द्वारा पेड़ के नीचे बने भोजन को ग्रहण किया गया।
मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवताओं का वास होता है इसके साथ ही यह फल भगवान विष्णु को अति प्रिय है, अक्षय नवमी की तिथि को आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर भोजन करने से, रोगों से छुटकारा मिलने की बात कही जाती है, लोगों का मानना है कि आंवले के वृक्ष से अमृत की बूंदें टपकती हैं, भोजन में अमृत के बूंदे टपकने से लोग रोग मुक्त होकर दीर्घायु होते हैं, कार्तिक मास में भगवान विष्णु को आंवले की माला भी अर्पित की जाती है जिससे भगवान विष्णु काफी प्रसन्न होते हैं।

वहीं मौके पर मौजूद शिवकुमारी देवी के द्वारा बताया गया, पूरे वर्ष में कार्तिक मास सबसे पवित्र मास के रूप में जाना जाता है, इस पुरे मास जो भी महिला पुरुष स्नान दान आदि करते हैं उन्हीं के द्वारा आंवले के पेड़ के नीचे अक्षय नवमी के तिथि को भोजन तैयार बनाया जाता है, और भोजन किया जाता है, आंवला का वृक्ष बहुत ही उत्तम वृक्ष माना गया है, मान्यता है कि, जब ब्रह्मा जी ने इस पूरी सृष्टि की रचना की और खुद सृष्टि को देखे तो काफी हर्षित हुए, उस दौरान उनकी आंखों से आंसू के कुछ बूंद निकले और धरती पर टपक गए, वही आंसू आंवले के वृक्ष के रूप में प्रकट हुआ।

जिस कारण से आंवला का वृक्ष इस पृथ्वी पर प्रथम वृक्ष माना जाता है और सबसे शुद्ध माना जाता है आंवले के वृक्ष के निचे अक्षय नवमी की तिथि को बनाया गया भोजन अमृततुल्य माना गया है, इसके साथ ही आंवले का भी उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।
लोग अपने समर्थ के अनुसार अक्षय नवमी कि तिथि को आंवले के नीचे भोजन तैयार करके लोगों को आमंत्रित करके बुलाते भी हैं और 11, 21, 31 की संख्या में लोगों को भोजन करवाते हैं, जिसके उपरांत ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।

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