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उन्होंने आगे बताया कि यह मुद्दा नया नहीं है। उन्होंने विधायक रहते हुए 2 जुलाई 2020 को सीएम नीतीश कुमार की गया में हुई समीक्षा बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था। लगातार आवाज उठाने के बावजूद सरकार एवं प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ जनप्रतिनिधियों पर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि पीजी की पढ़ाई शुरू हो गई होती तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता धरने पर नहीं बैठते।