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बैठक में बीडीओ ने कहा कि पराली जलाना जल्दबाजी में अपनाया जाने वाला एक खराब और सस्ता तरीका है, इससे हानिकारक गैस और छोटे कण हवा में फैलते हैं जो हवा के साथ लटके होते हैं जैसे धुंध जैसी स्थिति बनती है हवा की गुणवत्ता खराब होती है, वायु प्रदूषण से सांस लेने में की समस्या, आंखों में जलन, गले की समस्या भी उत्पन्न होती है, इसके साथ ही मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की क्षति होती है जमीन में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवो का सफाया हो जाता है, मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है इसको लेकर सरकार सख्त है पराली जलाने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश प्राप्त है।
बीडीओ के द्वारा कहा गया कि कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार गांव-गांव जाकर किसानों को पराली प्रबंधन की जानकारी दें, पराली जलाने वाले नुकसान के बारे में उनको बताएं, जागरूकता से पराली जलाने पर रोक लगाई जा सकती है, बीईओ ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण योजना के माध्यम से रीपर कम्बाइन्डर, हैप्पी सीडर, एस्ट्रा बेनर तथा रोटरी मल्चर जैसे उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं जो प्रबंधन में काफी कारगर है इस पर अनुदान मिल रहा है कृषि यंत्र बैंक की स्थापना की जा रही, जिसमें रियायती दर पर पराली प्रबंधन करने वाले यंत्र उपलब्ध रहेंगे।
कृषि समन्वयक ने बताया कि सभी हार्वेस्टर मालिकों की भी जिम्मेवारी बनती है कि वे किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक करें पराली जलाने को रोकने के लिए हार्वेस्टर में जीपीएस लगाना अनिवार्य है, हार्वेस्टर में एसएम एस का ही प्रयोग कर रही फसलों की कटाई होगी ऐसा नहीं करने वाले हार्वेस्टर मालिकों को चिन्हित कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी, कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने पर कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा किसानों के पंजीकरण पर रोक लगाना, कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा सभी प्रकार के अनुदान से वंचित करना इत्यादि शामिल है।