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एडीजी मामले को सुपरवाइजर करेंगे कोर्ट ने माना है कि इस कांड के अनुसंधान में मधुबनी पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होगा, कोर्ट ने आगे की गई कार्रवाई का रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने को कहा है, वही वरीय अधिवक्ता मृग्यांक मौली को कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट को सहयोग करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।
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कोर्ट ने कहा कि फिलहाल डीजीपी को कोर्ट में आने की जरूरत नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर बुलाया जाएगा, कोर्ट द्वारा मधुबनी के एसपी की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताई गई है, कोर्ट मौखिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि पद मिलने का मतलब यह नहीं होता कि कुछ भी कर सकते हैं, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य में अराजकता जैसी कोई स्थिति नहीं है।
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बताते चलें कि मधुबनी जिला के झंझारपुर डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज अविनाश कुमार प्रथम के साथ 18 नवंबर को उनके साथ गाली गलौज करते हुए मारपीट की गई थी, उसी दिन जैतवारा 18 नवंबर 2021 को भेजे गए पत्र पर हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को ही मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था, पटना हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है, इसके बाद ही हाईकोर्ट ने बुधवार को इसकी सुनवाई की और इसके अनुसंधान का जिम्मा सीआईडी को सौंपने का निर्देश दिया है, साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई आगामी 8 दिसंबर को की जाएगी।