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इसके बाद पूरे अभियोजन कार्यालय में धुआं भर गया मौके पर अफरा-तफरी मच गई, धुआं खत्म होते ही पता चला कि दरोगा उमाकांत, एक महिला अभियोजन पदाधिकारी और वहां तैनात सिपाही संजय कुमार घायल हो गए हैं, दरोगा उमाकांत का दाहिना हाथ जख्मी हो गया है तीनों घायलों को इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।
घटना के बाद एटीएस की टीम, बम निरोधी दस्ता और एफएसएल की टीम मौके पर पहुंची और आनन-फानन बम डिफ्यूज करने का काम शुरू हुआ, घटना के समय एक महिला पदाधिकारी व जिला अभियोजन अधिकारी अपने कक्ष में बैठे थे इस कार्यालय में 25 अधिकारी और अन्य कर्मी मौजूद रहते है अगर घटना कुछ समय पहले होती तो घायलों की संख्या बढ़ जाती, बम फटने के बाद जब दरोगा ने कहा कि एक बम जिंदा है और पुलिस डिफ्यूज करना नहीं जानती तो वहां अफरा-तफरी मच गई।
वहीं पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा कि पुलिस की लापरवाही हुई है इसे डिफ्यूज कराकर एफएसएल जांच के आदेश के लिए कोर्ट ले जाना चाहिए था जब पुलिस ने बरामद किया था तो इससे एफएसएल टीम को बुलाकर ठीक ढंग से पैक कराना चाहिए था जब पुलिस किसी चीज को बरामद करती है तो वह कोर्ट की प्रॉपर्टी हो जाती है पुलिस का जब्त या बरामद किए किसी भी सामान को कोर्ट ले जाना जरूरी है पर विस्फोटक या बम को निष्क्रिय कराकर ले जाना चाहिए था।