Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
आरएमआरई के निदेशक डॉ. कृष्णा पांडेय ने बताया कि ओपीडी में इस महीने 21 सैंपलों की जांच हुई, जिसमें एक सैंपल पॉजिटिव पाया गया, पीएमसीएच के वरीय फिजिशियन डॉ. बीके चौधरी की माने तो ओपीडी में 30 से 40 फीसदी मरीज सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी, बदन दर्द, गले में खराश से पीड़ित आ रहे हैं, सेरोलॉजी जांच से ही पता चलता है कि मरीज H3N2 इन्फ्लुंएजा वायरस से पीड़ित है या नहीं।
H3N2 के बढ़ते मामले के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों काे पत्र लिखकर सतर्कता बरतने को कहा है, जिसे हम मौसमी जुकाम-बुखार समझकर नजर अंदाज कर रहे हैं, वह H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का अटैक भी हो सकता है, इस वायरस से संक्रमितों में बुखार 3 से 5 दिन और खांसी 21 दिन तक सही नहीं हो रही, फेफड़ों में 70% तक संक्रमण देखा गया है।
आईसीएमआर के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती लोगों में से 27% को सांस लेने में दिक्कत है, इनमें 10% को ऑक्सीजन देनी पड़ी है, मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना और H3N2 के कई लक्षण समान हैं लेकिन कोरोना सिंगल वायरस है जबकि इन्फ्लुएंजा वायरसों का झुंड है, इनमें से हर बार अलग वायरस नई साइकिल में सक्रिय हो जाता है नतीजतन इन्फ्लुएंजा हर साल एंटीजनिक स्ट्रक्चर बदलता है इसी कारण इस वायरस की अब तक वन टाइम वैक्सीन नहीं बन पाई है वायरस होने पर खुद एंटीबायोटिक ना लें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को दिए सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।