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आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि पटना में कल जो लाठीचार्ज हुआ है, उसमें नीतीश कुमार के बारे में मेरी अपनी धारणा थी कि चाहे जो कुछ भी गलती हो, ये पुराने राजनीतिक लोग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में विश्वास करने वाले लोग हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं पटना में लाठीचार्ज करना नियम बन गया है। कल जो इन पर लाठीचार्ज किया गया, ये कोई नई बात नहीं है, कोई शिक्षक चला जाए उस पर भी लाठीचार्ज, बेरोजगार बच्चे जा रहे हैं उन पर भी लाठीचार्ज, सरपंच गए उन पर भी लाठीचार्ज, मुखिया गए उन पर भी लाठीचार्ज किया जा रहा है।
प्रशांत किशोर ने लोगों को उनके वोट की ताकत को समझाया और कहा कि इस सरकार की ये छवि बन गई है कि पटना में लोग जब अपनी बात को लेकर जाते हैं, चाहे वे जिस भी वर्ग के हों, वो रसोईया हों, आंगनबाड़ी वर्कर हों, आशा वर्कर हों, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी हों सब पर बस लाठीचार्ज करवाने का नियम बन गया है। हमने देखा है कि बीते एक साल में हर वर्ग के लोग पटना गए हैं। लोकतंत्र में आप किसी पर लाठीचार्ज करवाइएगा, तो आपको डर होगा कि आप चुनाव हार जाएंगे, लेकिन नीतीश कुमार और ज्यादातर बिहार के नेताओं में वो डर खत्म हो गया है। इन नेताओं को मालूम है, जो लोग लाठी खाकर आया है पटना के डाक बंगला चौराहे से, वो आदमी कल जाति के नाम पर फिर उसी दल को वोट करेगा जिसने उसे लाठी से मारा है।