Bihar, (इंडो-नेपाल सीमा से रिपोर्ट): नेपाल में इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़का आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है, स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि इसे नियंत्रित करने के लिए नेपाली सेना को सीधे मोर्चा संभालना पड़ा है। इंडो-नेपाल सीमा से लगे बिहार के कई इलाकों में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। खासकर कर्सिया, बेतौना, रंगेली, कटहरी और डेंगिया जैसे सीमावर्ती बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
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आपको बताते चलें कि सोमवार की रात से ही प्रदर्शनकारी लगातार सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहे हैं। कई दफ्तरों में आगजनी की गई, जिससे महत्त्वपूर्ण अभिलेख नष्ट हो गए। धनपाल काउपानिका क्षेत्र के कर्सिया में मंगलवार देर रात दफ्तरों को पूरी तरह जला दिया गया। इस बीच, कई थाने और मायागंज की छोटी भंसार सेवा को भी बंद कर दिया गया है।
एपीएफ और पुलिस नाकाम, सेना ने संभाली कमान
नेपाल की एपीएफ (सशस्त्र पुलिस बल) और स्थानीय पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रही। हालात बिगड़ते देख सरकार को सेना की तैनाती करनी पड़ी। मंगलवार रात 10 बजे से सेना ने नेपाल के कई हिस्सों को अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया है। राजधानी काठमांडू और प्रमुख शहरों में सेना की गश्त बढ़ा दी गई है। बावजूद इसके, प्रदर्शनकारियों की भीड़ बेकाबू बनी हुई है। सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ है और अधिकांश होटल व व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद पड़े हैं।
सीमा पर तैनात भारतीय एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) जवानों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। लोगों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखी जा रही है। प्रशासन को आशंका है कि हिंसा के दौरान नेपाल से बड़ी संख्या में लोग भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सकते हैं।
जेलब्रेक ने बढ़ाई चिंता
अराजकता के बीच नेपाल की विभिन्न जेलों से बड़ी संख्या में कैदी फरार हो गए हैं। यह स्थिति भारत के लिए भी चिंता का विषय बन गई है। सूत्रों के मुताबिक –
भीमफेदी जेल से 260 कैदी, जनेश्वर जेल से 572 कैदी, रौतहट जेल से 233 कैदी, पोखरा जेल से 900 कैदी, महोतरी जेल से 576 कैदी, काठमांडू नरखू जेल से 233 कैदी
सबसे भयावह स्थिति झुमका जेल की बताई जा रही है, जहां मौजूद करीब 1500 सभी कैदी भागने में सफल रहे। यह नेपाल की सबसे बड़ी जेल मानी जाती है। इस बड़े पैमाने पर जेलब्रेक ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है और आसपास के भारतीय जिलों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
सरकार पर संकट, इस्तीफों की बाढ़
जानकारी के अनुसार, नेपाल की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पूरी तरह चरमरा चुकी है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। प्रधानमंत्री को सेना ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। मंगलवार की देर रात से ही नेपाल पर प्रभावी नियंत्रण सेना के हाथ में चला गया है। फिलहाल सेना लगातार शांति बहाल करने की कोशिश कर रही है, मगर हिंसा और बेकाबू भीड़ के चलते हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं।
सीमा पर भारतीय प्रशासन सतर्क
नेपाल में लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए भारतीय प्रशासन ने सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है। विशेष निगरानी दल तैनात किए गए हैं ताकि नेपाल से किसी भी तरह की अवैध घुसपैठ को रोका जा सके। स्थानीय लोगों को भी नेपाल न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
निष्कर्ष
नेपाल इस समय गंभीर अराजकता और हिंसा की गिरफ्त में है। इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध से शुरू हुआ आंदोलन अब जेलब्रेक और आगजनी तक पहुंच गया है। राजनीतिक अस्थिरता, प्रशासन की नाकामी और सुरक्षा बलों की कमजोरी ने स्थिति को और अधिक भयावह बना दिया है। भारत के लिए भी यह चिंता का विषय है क्योंकि सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं।