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दरसअल हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव पर रोक लगाई है उसकी मूल वजह बिहार में निकाय चुनाव में दिया जाने वाला आरक्षण है, हाईकोर्ट का मानना है कि बिहार सरकार ने उचित नियमावली बनाकर इस आरक्षण को नहीं दिया है, हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट कराने की बात कही है जिसमें आयोग बनाकर आरक्षण के लिए आंकड़े इकट्ठा करना और उसके बाद उचित हिस्सेदारी के तहत सीट को आरक्षित करना है कि बिहार में 15 वर्षों से निकाय चुनाव राज्य सरकार के नियमावली पर होता रहा है तो ऐसे में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
निकाय चुनाव पर रोक लगने के बाद जदयू और बीजेपी इस बात को लेकर अपने अपने तरीके से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं जो आरक्षण के तहत इस प्रक्रिया में आते हैं ज्यादातर लोग पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज से ताल्लुक रखते थे, अब अति पिछड़ा समाज की हितैषी बनने की होड़ मची हुई है, दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ आंदोलन में उतरने वाले हैं।
जदयू प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है उसके मुंह में कुछ और होता और कहना कुछ और होता है हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करके बीजेपी ने साबित कर दिया कि वह आरक्षण विरोधी है, वही बीजेपी प्रवक्ता संतोष पाठक का कहना है कि अगर सरकार नियमावली के तहत चुनाव कराती तो यह फजीहत झेलनी पड़ती नीतीश कुमार अति पिछड़ा समाज को ठगते हैं और धोखे में रखते हैं, ऐसे में बीजेपी उनके खिलाफ बड़ा आंदोलन करेगी और इसकी शुरुआत वह पुतला दहन करके कर चुकी है।