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मौजूदा समय में देश के कई राज्यों में यही प्रणाली लागू है लेकिन दक्षिण राज्य के राज्यों की जनता सीधे तौर पर महापौर और उपमहापौर का निर्वाचन करती है, बिहार में नगर विकास एवं आवास विभाग में जो प्रस्ताव तैयार किया है, उस पर कैबिनेट और राज्यपाल की मुहर लग चुकी है, अब कानून में संशोधन को मूर्त रूप देने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है, दरअसल विधानमंडल का सत्र मार्च में प्रस्तावित है, ऐसी स्थिति में सरकार 2 महीने का इंतजार नहीं करना चाहती, कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का फैसला लिया गया है।
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सरकार द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव संबंधी तैयारियों को ध्यान में रखकर किया गया है, सरकार द्वारा लाए जाने वाला नया कानून सभी 263 नगर निकायों पर लागू हो जाएगा, सरकार अगले हफ्ते कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाएगी सरकार द्वारा नगरपालिका कानून 2007 में संशोधन के बाद वार्ड पार्षदों की मुख्य पार्षद से लेकर मेयर तक के चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लग सकेगी, पहले दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम का आदान-प्रदान होता था।
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संशोधन के तहत यह भी प्रावधान लाया गया है कि प्रत्याशी किसी भी दल के सिंबल का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे इसके अलावा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी दल का झंडा बैनर यहां तक कि प्रतीक चिन्ह के उपयोग की अनुमति नहीं होगी, नगरपालिका कानून की धारा में मोटे तौर पर बदलाव किया गया है, धारा 23 (1) और धारा 25 को बदला गया है, धारा 23 (1) में पहले पार्षद बहुमत से महापौर और उपमहापौर चुनते थे लेकिन संशोधन के तहत मतदाता मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को चुनेंगे, धारा 25 में महापौर से लेकर उप महापौर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद को अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान पहले था लेकिन संशोधन के बाद यह प्रावधान समाप्त हो जाएगा।