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बिहार के शिक्षक महागठबंधन सरकार के वादे को पूरा काम इंतजार कर रहे थे सभी को लग रहा था कि सरकार अपने चुनावी घोषणापत्र पर अमल करेगी लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत हुआ, सरकार ने आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित करने के नियमावली लाकर सभी मांगों को एक लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में डालने का रास्ता चुना है, वर्तमान नियमावली का अगर अवलोकन करें तो विज्ञापन से लेकर परीक्षा आयोजन से रिजल्ट प्रकाशन तक सातवें चरण का बहाली प्रक्रिया भी लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में जा सकता है।
लंबे समय से राज्य कर्मी को लेकर संघर्षरत वर्तमान में पंचायती राज एवं नगर निकाय अंतर्गत नियुक्त कर्मी भी इस नियमावली की नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से ही राज्य कर्मी के इस नए संवर्ग में नियुक्त किये जायेगे, शिक्षा विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है सरकार को चाहिए कि टीईटी/सीटीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्याय निर्णय पैरा-78 में दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए बिना किसी देरी और बिना किसी शर्त के राज्य कर्मी का दर्जा, पुरानी पेंशन, ऐच्छिक स्थानांतरण और पुर्ण वेतनमान दे देना चाहिए जैसे कि अन्य राज्यों में भी टीईटी/सीटीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को दिया जा रहा है।