Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में इस वर्ष लोगों के बीच रक्षाबंधन के त्यौहार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही, प्रखंड के कई घरों में 11 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया, जबकि कई घरों में आज 12 अगस्त सुबह से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है।
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गुरुवार प्रखंड के कई घरों में धूमधाम से रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाया गया है, तो कई घरों में सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना भी हुई, बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधकर रक्षाबंधन के पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाई, वहीं भाइयों के द्वारा बहनों को उपहार भी भेंट किए गए हैं, वही चैनपुर के चैनपुर बाजार सहित कई पंचायतों में आज शुक्रवार कि सुबह रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है।
जानकारों के मुताबिक इस वर्ष स्थानीय लोगों में, असमंजस की स्थिति रक्षाबंधन मुहूर्त एवं भाद्र विचार को लेकर उत्पन्न हुआ है।
कई विद्वान ब्राह्मणों के मुताबिक श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा गुरुवार 11 अगस्त 2022 की सुबह 11:00 से 3:56 तक अत्यंत शुभ मुहूर्त रक्षाबंधन के लिए बताया गया है, शास्त्र जानकारों के मुताबिक 12 अगस्त की सुबह 7:05 तक पूर्णिमा रहेगा।
वहीं कुछ ब्राह्मणों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा का छाया पड़ रहा है, जिस कारण से रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है जिसे लेकर कई लोगों के द्वारा शुक्रवार की सुबह से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है।
सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर प्रखंड के सभी पंचायतों में मां काली की हुई भव्य पूजा
Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में सावन माह के पूर्णिमा तिथि पर मां काली की वार्षिक पूजा स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा धूमधाम से की गई, जिसके तहत मां काली के विशेष भक्त जिसे स्थानीय ग्रामीण दर्शनिया के नाम से संबोधित करते हैं, उनके द्वारा पूरे गांव की 5 बार परिक्रमा की गई, परिक्रमा के दौरान गांव के कई ग्रामीण मां काली की ध्वजा लेकर पीछे पीछे दौड़ते हुए परिक्रमा को पूर्ण किए।
जिसके उपरांत शाम के पहर मां काली की पूजा आराधना प्रारंभ हुई जहां पूजा एवं हवन किया गया, वहीं मौके पर काफी संख्या में स्थानीय महिलाओं के द्वारा मां काली को प्रसन्न करने के लिए भक्ति गीत गाए गए, मां काली की वार्षिक पूजा देखने के लिए स्थानीय ग्रामीणों की काफी भीड़ रही।
दर्शनिया सुरेंद्र यादव के द्वारा बताया गया मां काली की पूजा में गांव के सभी लोगों के द्वारा सहयोग किया जाता है, उनके सहयोग से ही मां काली की वार्षिक पूजा संपन्न होती है, पूजा के उपरांत सभी ग्रामीणों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया है।