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इस संबंध में जानकारी देते हुए डीएसपी मुख्यालय डॉ0 रविंद्र कुमार ने बताया कि अजीत मांझी कई वर्षों तक कॉल सेंटर में काम किया है एवं वह इंग्लिश बोलने में निपुण है। वह वॉइस चेंजर के माध्यम से महिलाओं की आवाज में बात करता था और अनजान नंबरों से लोगों को कॉल करके उनसे बैंक और क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल करता था। जिसके बाद यह जानकारी विकास संदीप और संजय को दी जाती थी जो ठगी की रकम को निकालने का काम करते थे। इसी दौरान 29 मई को रेवाड़ी केफिदेड़़ी निवासी नितेश से संपर्क कर अपराधियों के द्वारा क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देते हुए उनके खाता से संबंधित जानकारी प्राप्त कर ली एवं एक फर्जी एप के जरिए नितेश के खाते से 1लाख 30 हजार रुपए निकाल लिया गया।
इसके बाद नितेश के द्वारा इसकी जानकारी पुलिस को दी गई। जिसके बाद पुलिस ने दिल्ली और बिहार में जाँच शुरू की और फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। डीएसपी के अनुसार गिरफ्तार सभी आरोपित शिक्षित एवं पूर्व में अच्छे पदों पर कार्यरत रह चुके हैं। विकास और संदीप बैंकिंग सेक्टर में जबकि संजय ने कॉल सेंटर में काम किया था पर 2021 में नौकरी छूटने और सट्टे की लत के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे इन लोगों ने 2022 में मिलकर इस साइबर ठगी की की शुरुआत की थी।