Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
मामले की जानकारी देते हुए एसपी ललित मोहन शर्मा के द्वारा बताया गया कि घटना के बाद तत्कालीन कैमूर पुलिस अधीक्षक के द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मोहनिया के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें मोहनिया थाना अध्यक्ष ललन प्रसाद, कुदरा थाना अध्यक्ष संजय कुमार, कैमूर प्रभारी डीआयू शाखा संतोष कुमार वर्मा, कुदरा थाना के पुअनि रौनक कुमार और कुदरा थाना के ही पुअनि विकास कुमार को शामिल किया गया था, जिस तरह से अपराधियों ने हथियार के बल पर रूपए ट्रांसफर कराया और 25 मोबाइल फ़ोन रखे हुए थे इससे पता चलता है की ये साइबर क्राइम से भी जुड़े है।
गिरफ्तार आरोपियों में अभिमन्यु कुमार सिंह उर्फ़ मन्नू यादव पिता-रामचंद्र सिंह बहेरा, राजू प्रसाद केसरी पिता-लालू प्रसाद केसरी पुसौली, प्रेम चंद्र दिवाकर उर्फ बंटी पिता-अजय सिंह सराय, धर्मेंद्र कुशवाहा पिता-शिव दुलार कुशवाहा घटाव सभी जिले के कुदरा थाना क्षेत्र के निवासी हैं, वही उपेंद्र कुमार यादव पिता शिव दुलारी यादव, बरका, पकरीहार थाना-मोहनिया जिला कैमूर और आमिर हुसैन पिता-नसरुद्दीन मियां उत्तरदाये गांव थाना-फलका जिला-अलीपुर दुआर, पश्चिम बंगाल शामिल है।
अपराधियों के पास से पुलिस ने विभिन्न कंपनियों के 25 मोबाइल फोन जिसमें 5 मोबाइल फोन घटना के दौरान इस्तेमाल किए गए थे, लूटेगा रकम में से 10,500 नगद रुपए बरामद किए गए हैं साथ ही घटना में प्रयुक्त एक देसी कट्टा और दो जिंदा कारतूस भी बरामद किया गया है, सभी गिरफ्तार अपराधियों का पूर्व में भी आपराधिक इतिहास रहा है गठित टीम के द्वारा तकनीकी अनुसंधान के आधार पर घटना का उद्भेददन करते हुए उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित नाका चारबाग थाना अंतर्गत स्थानीय पुलिस के सहयोग से घटना में संलिप्त कुल 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अपराधियों की निशानदेही पर पुलिस ने कुदरा और मोहनिया के थाना क्षेत्र से तीन और अपराधियों गिरफ्तार किया इन्हीं की निशानदेही पर कुल 25 मोबाइल फोन 10,500 रूपए और एक देसी कट्टा दो जिंदा कारतूस जो घटना में प्रयुक्त किए गए थे उन्हें बरामद कर लिया गया है, कैमूर एसपी ललित मोहन शर्मा जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार सभी अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि लोगों के द्वारा मिलकर मोहनिया और कुदरा थाना क्षेत्रों में ट्रक वालों से लूटपाट की जाती थी और लूटपाट के बाद वह लखनऊ भाग जाते थे जिससे वह पहचान में ना आ सके गिरफ्तार सभी अपराधियों के द्वारा घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली गई है।