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झारखंड में सत्ता का संघर्ष जारी, भाजपा की नजर झामुमो और कांग्रेस के विधायकों पर

Desk:  झारखंड के सियासी भूचाल के बीच ऐसे सवाल राजनीति गलियारों में उठने लगे हैं कि क्या भाजपा सरकार बना सकती है झारखंड में बीजेपी को बहुमत के लिए 11 विधायकों का समर्थन चाहिए तो जेएमएम के 7 और कांग्रेस के छह विधायकों पर बीजेपी की नजर भी है इसमें ज्यादातर विधायक कोल्हान इलाके के हैं कुछ संताल परगना के भी हैं, सूत्रों के अनुसार कुछ दिन पहले कांग्रेस के विधायकों से पहले दौर की बातचीत भी हुई थी लेकिन अभी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसमें महागठबंधन की स्थिति ठीक-ठाक नजर आ रही है।

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81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में जेएमएम के 30 और कांग्रेस के 18 विधायक हैं, बहुमत के लिए 41 का आंकड़ा चाहिए, जीएनएम की तरफ से स्पीकर के पद पर आसीन रविंद्र नाथ महतो को माइनस कर दें और दूसरी तरफ कैश कांड में फंसे कांग्रेस के 3 विधायकों को छोड़ दिया जाए तो भी सत्ताधारी महागठबंधन के पास 44 विधायक का आंकड़ा है जो बहुमत से दो ज्यादा है। ‌

वही भाजपा के पास 28 विधायकों का समर्थन है ऐसे में दो निर्दलीयों को जोड़ दें तब भी अलग से 11 विधायकों की जरूरत है, मौजूदा परिस्थितियों में अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी जाती भी है तब भी महागठबंधन अपनी सत्ता बचाए रखने में सफल रहेगी, सत्ताधारी विधायकों को एकजुट रखने के लिए झामुमो और कांग्रेस से कुल 31 विधायकों को मंगलवार को रायपुर शिफ्ट कर दिया गया है, उनके अलावे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत झामुमो और कांग्रेस के 16 विधायक ऐसे हैं जो रायपुर नहीं गए हैं, उनमें सीएम सोरेन के भाई बसंत सोरेन भी शामिल हैं, उसके अलावे चार विधायक ऐसे हैं जिन्होंने स्वास्थ्य कारण बताकर रायपुर जाने से मना कर दिया है, वहीं 5 मंत्री ऐसे हैं जो गवर्नर के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं, इस बीच सीएम सोरेन को लेकर गवर्नर का कोई निर्णय आता है तो वैसे स्थिति में स्ट्रैटजी बनाने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के पास अपने 26 विधायक हैं उसके अलावा और बीजेपी को आजसू के 2 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, साथ ही अगर दो निर्दलीय विधायकों को जोड़ दे तब भी विपक्ष बमुश्किल 30 आंकड़े तक ही पहुंच पाएगा, ऐसे में बहुमत के लिए जरूरत से 11 कम है ऐसे में उसे कांग्रेस की कमजोर कड़ी को अपनी तरफ जोड़ना होगा इसी को बचाए रखने के लिए महागठबंधन स्ट्रेटजी बनाई है और अपने विधायकों को एक साथ रखने का प्लान बनाया है, बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के सदस्यता को लेकर भी झारखंड विधानसभा में सुनवाई पूरी हो चुकी है, इस हिसाब से अगर आकड़ो पर गौर करें तो इन विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर झारखंड विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 75 हो जाएगी ऐसी स्थिति बहुमत साबित करने के लिए 38 विधायकों की जरूरत होगी तब भी महागठबंधन के पास 45 विधायकों का साथ है।

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