पटना: बिहार में विधानसभा चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है, और इसी बीच नेता प्रतिपक्ष एवं राजद नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक बड़ी घोषणा कर सुर्खियां बटोरी हैं। प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी ने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी, तो राज्य में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों और जीविका दीदियों की सेवा को स्थायी (रेगुलर) कर दिया जाएगा। तेजस्वी ने कहा कि लंबे समय से मेहनत कर रही जीविका दीदियां और संविदा कर्मचारी अब अस्थिरता से मुक्ति पाएंगे, उन्हें स्थायी रोजगार और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

जीविका दीदियों के लिए विशेष घोषणाएं
तेजस्वी यादव ने इस दौरान जीविका दीदियों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि जीविका कैडर में शामिल सभी सीएम दीदियों को अब 30,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसके अलावा उन्होंने दो वर्षों तक ब्याज मुक्त ऋण देने और पहले से लिए गए ऋण को माफ करने का वादा किया।
इसके साथ ही तेजस्वी ने कहा कि जीविका समूहों की दीदियां राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्हें न केवल सम्मान मिलना चाहिए, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाना होगा। इसी उद्देश्य से उन्होंने घोषणा की कि जीविका समूहों के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को भी मानदेय दिया जाएगा। साथ ही जीविका कैडर में शामिल प्रत्येक सदस्य को पांच-पांच लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।
तेजस्वी ने कहा कि जीविका दीदियों को अब केवल महिला सशक्तिकरण की प्रतीक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाना चाहिए। इसलिए सरकार बनने पर उन्हें अन्य सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक जीविका दीदी को प्रति माह 2000 रुपये अतिरिक्त भत्ता दिया जाएगा।
“माई-बहिन योजना” के साथ अतिरिक्त लाभ
तेजस्वी यादव ने कहा कि जीविका दीदियों को सरकार की “माई-बहिन योजना” के अंतर्गत मिलने वाले लाभों से भी वंचित नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थायी सेवा और मानदेय के अलावा इस योजना के तहत मिलने वाला आर्थिक लाभ अतिरिक्त रूप में दिया जाएगा।
संविदा कर्मियों की सेवा भी स्थायी होगी
तेजस्वी ने सिर्फ जीविका दीदियों के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों के लिए भी राहत भरी घोषणा की। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायत, पुलिस, विद्युत समेत अन्य विभागों में वर्षों से काम कर रहे कर्मियों को अब स्थायित्व मिलेगा। उन्होंने कहा,
“जो लोग वर्षों से बिहार सरकार की रीढ़ बनकर काम कर रहे हैं, उन्हें अब अस्थायी नहीं कहा जा सकता। हम उन्हें नियमित सेवा में लाएंगे और समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार देंगे।”
राजस्व स्रोत पर नहीं बोले तेजस्वी
हालांकि, तेजस्वी यादव ने अपने इन वादों के वित्तीय स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि इतने बड़े पैमाने पर स्थायीकरण और मानदेय वृद्धि के लिए पैसा कहां से आएगा, उन्होंने केवल इतना कहा कि “जब इच्छाशक्ति होती है, तो संसाधन मिल ही जाते हैं।”
राजनीतिक हलचल तेज
तेजस्वी यादव की इस घोषणा से बिहार की राजनीति में नई हलचल मच गई है। सत्तारूढ़ दल जहां इसे चुनावी प्रलोभन बता रहा है, वहीं महागठबंधन समर्थक इसे “न्यायपूर्ण वादा” मान रहे हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सक्रिय जीविका समूहों की दीदियों में इस घोषणा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।
तेजस्वी ने कहा कि उनका लक्ष्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि बिहार के मेहनतकश तबके को सम्मान और सुरक्षा देना है। उन्होंने कहा,
> “बिहार की महिलाएं, दीदियां और संविदा कर्मी आज बदलाव की ताकत हैं। महागठबंधन की सरकार बनी तो किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।”
वहीं तेजस्वी यादव की यह घोषणा चुनावी रणनीति का एक अहम हिस्सा मानी जा रही है। राज्य में लगभग 10 लाख से अधिक जीविका दीदियां और लाखों संविदा कर्मचारी हैं, जो लंबे समय से स्थायित्व और वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। ऐसे में यह घोषणा आगामी चुनावों में महागठबंधन के लिए बड़ा राजनीतिक हथियार साबित हो सकती है।



