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चंद्रबाबू नायडू से बहुमत की सरकार चला रहे थे जबकि नीतीश कुमार तो 42 विधायक के साथ लंगड़ी सरकार चला रहे हैं चंद्रबाबू नायडू जिस तरह से देश का दौरा करके विपक्ष को एकजुट कर रहे थे इसका नतीजा यह हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर 3 हो गए, सिर्फ 23 विधायक जीतें और वे सत्ता से ही बाहर हो गए।
नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए नीतीश कुमार का खुद का ठिकाना नहीं राजद का जीरो एमपी है वह देश का प्रधानमंत्री तय कर रहा है जिस पार्टी का कोई ठिकाना नहीं है वह देश की दूसरी पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है, नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल दौरे पर गए तो नीतीश कुमार से यह पूछना चाहिए कि ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार है क्या? नीतीश कुमार और लालू टीएमसी को बिहार में एक भी सीट देंगे कि नीतीश कुमार हमसे ज्यादा ममता बनर्जी को जानते हैं, पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार को पूछता कौन है, नीतीश कुमार का भी वही हाल होगा जो चंद्रबाबू नायडू का हुआ था।